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BOKARO NEWS : बेरमो में कांग्रेस व सीपीआइ के बीच होता रहा है रोचक मुकाबला

BOKARO NEWS : बेरमो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, जनसंघ व भाजपा के गढ़ वाले इस क्षेत्र में भाकपा भी लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है.

BOKARO NEWS : राकेश वर्मा, बेरमो. 1957 से 2019 तक के बेरमो विधानसभा चुनाव (2019 का एक उप चुनाव भी) का अगर हम जिक्र करें तो कांग्रेस, जनसंघ व भाजपा के गढ़ वाले इस क्षेत्र में भाकपा भी लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है. 50-60 के दशक में जब बेरमो में कांग्रेस व इंटक का बोलबाला हुआ करता था, उस वक्त सीपीआइ व उसकी मजदूर यूनियन एटक ने संघर्ष के जरिये कोयला मजदूरों के बीच अपना स्थान बनाया था. बेरमो विधानसभा क्षेत्र में सीपीआइ व एटक नेता शफीक खान पूरे कोल सेक्टर में चर्चित मजदूर नेताओं में गिने जाते रहे. 1962 में शफीक खान ने बेरमो विधानसभा का पहला चुनाव लड़ा. इसके बाद एक दो विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो वे वर्ष 2000 तक विधानसभा चुनाव लगातार लड़ते रहे. कई बार तो जीतते-जीतते हार गये. 1957 में जब बेरमो विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया तो सीपीआइ ने यहां पहली बार अपना प्रत्याशी उतारा. सीपीआइ ने पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री चतुरानन मिश्र को पार्टी का प्रत्याशी बनाया, उन्हें कुल 13.56 फीसदी वोट मिला था तथा वे तीसरे स्थान पर रहे थे. जबकि इस चुनाव में सीएनपीएसपीजेपीपी के प्रत्याशी ठाकुर ब्रजेश्वर प्रसाद जीते थे. वहीं कांग्रेस के बिंदेश्वरी दुबे दूसरे स्थान पर रहे थे. इस चुनाव में बेरमो के मजदूर नेता बिंदेश्वरी सिंह भी चुनाव लड़े तथा उन्हें 2009 तथा पीएसपी प्रत्याशी मिथिलेश सिन्हा को 1240 मत प्राप्त हुआ था. बेरमो के एटक नेता शफीक खान को वर्ष 1962 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पहली बार प्रत्याशी बनाया. वह तीसरे स्थान पर रहे तथा उन्हें कुल 2741 मत मिले. इस चुनाव में कांग्रेस के बिंदश्वरी दुबे जीते थे. इसके बाद 1967 के विस चुनाव में फिर से शफीक खान प्रत्याशी हुए, इस चुनाव में उन्हें 4097 मत मिले तथा वे चौथे स्थान पर रहे. इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी एनपी सिंह दूसरे स्थान पर रहे, जबकि कांग्रेस के बिंदेश्वरी दुबे को जीत मिली.

1969 में नावाडीह के कैलाश महतो बने थे सीपीआइ के प्रत्याशी :

1977 के पहले तक बेरमो विधानसभा में डुमरी विधानसभा क्षेत्र का नावाडीह प्रखंड आता था. नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट निवासी व सीपीआइ नेता कैलाश महतो को 1969 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में स्व कैलाश महतो को 2191 मत मिला तथा वह चौथे स्थान पर रहे, जबकि कांग्रेस के बिंदेश्वरी दुबे को जीत मिली. दूसरे स्थान पर जेएपी के यमुना सिंह रहे थे. 1972, 1977 तथा 1980 का विधानसभा चुनाव सीपीआई ने नहीं लड़ा.

1985 से 2000 तक लगातार विस चुनाव लड़ते रहे शफीक खान :

1985 में एक बार फिर से पूरे दमखम के साथ सीपीआइ ने शफीक खान को कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र प्रसाद सिंह के मुकाबले चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली, लेकिन सीपीआइ दूसरे स्थान पर रही. सीपीआइ प्रत्याशी शफीक खान को 20,333 मत मिले. भाजपा इस चुनाव में तीसरे स्थान पर चली गयी थी. इसके बाद 1990 के विस चुनाव में फिर से सीपीआइ ने कांग्रेस के साथ जबरदस्त मुकाबला किया तथा दूसरे स्थान पर रही. जीत कांग्रेस की हुई. सीपीआइ को कुल 31,721 मत मिले. 1995 का विस चुनाव तो सीपीआइ का बेरमो क्षेत्र में टर्निंग प्वाइंट के रूप में आज तक याद किया जाता है. इस चुनाव में भले ही सीपीआइ की हार हो गयी, लेकिन सीपीआइ ने कांग्रेस को जोरदार टक्कर दी थी. सीपीआइ प्रत्याशी शफीक खान को 39,550 मत मिला, जबकि कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह को 40,361 मत. मात्र 811 वोट से शफीक खान चुनाव हार गये थे, इसके बाद अपना अंतिम विधानसभा चुनाव शफीक खान ने वर्ष 2000 में लड़ा. इस चुनाव में उन्हें 16,788 वोट मिला तथा तीसरे स्थान पर रहे. जबकि जीत कांग्रेस के राजेंद्र सिंह की हुई.

2005 में सीपीआइ ने शफीक के बेटे को उतारा मैदान में :

2005 के विधानसभा चुनाव में सीपीआइ ने मरहूम शफीक खान के पुत्र आफताब आलम खान को बेरमी विस सीट से प्रत्याशी बनाया. आफताब उस वक्त बेंगलुरु में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. इस चुनाव में सीपीआइ ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया तथा आफताब 29,116 मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे. 2009 के विधानसभा चुनाव में भी आफताब तीसरे स्थान पर रहे तथा उन्हें कुल 20549 मत मिले. 2014 के विधानसभा चुनाव में सीपीआइ ने एक बार फिर से पार्टी प्रत्याशी बदला तथा पुराने नेता चंद्रशेखर झा को प्रत्याशी बनाया. लेकिन, इस चुनाव में सीपीआइ को मुंह की खानी पड़ी तथा श्री झा को मात्र 3137 वोट से संतोष करना पड़ा. 2019 के विधानसभा चुनाव में तीसरी बार सीपीआइ ने आफताब आलम खान को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह 5695 मत लाकर चौथे स्थान पर रहे. इसके बाद 2019 में ही उपचुनाव में सीपीआइ ने बैजनाथ महतो को अपना प्रत्याशी बनाया, जिन्हें मात्र 2,643 मत मिले.

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