बोकारो, कर्म ही तय करता है कि मनुष्य धर्म के राह पर है या अधर्म के राह पर. कर्म जरूरी है. वैसा कर्म जो मनुष्यता के लिए जरूरी हो. ये बातें श्रीराम कथा वाचक राजन जी महाराज ने कही. राजन जी महाराज बुधवार को सेक्टर चार स्थित मजदूर मैदान में आयोजित श्रीराम कथा के सातवें दिन गुरुवार को अयोध्या कांड की चर्चा कर रहे थे.
राजन जी महाराज ने कहा कि सतकर्म करने से पितरों को खुशी मिलती है. पितरों का स्वागत किया जाता है. खुश होकर पितर वंशज को आशीर्वाद देते हैं. यह एक चक्र है, जो निरंतर चलता रहता है. महाराज जी ने कहा कि राम नाम का उद्घोष दिल खोलकर करना चाहिए. राम नाम के उद्घोष से तीन फल मिलते हैं. रामनाम से मुक्ति मिलती है, सुख संपदा की प्राप्ति होती है, साथ ही राम नाम के उद्घोष से मृत्यु के बाद आत्मा को लेने भगवान के पार्षद आते हैं ना कि यमराज के दूत.मन निर्मल हो तो भक्त के पास आते हैं भगवान
राजन जी महराज ने कहा कि प्रभु सभी के पास हैं, लेकिन मन शांत व साफ नहीं होने के कारण वह दिखते नहीं है. मन निर्मल होने से प्रभु दर्शन देते हैं. सिर्फ दर्शन ही नहीं देते, बल्कि भक्त के पास दौड़े आते हैं. कहा कि राम नाम से विमुख होने के बाद जीवन में सिर्फ पश्चताप ही रहता है. समझाते हुए कहा कि खुद की परछाई को तब तक नहीं हराया जा सकता, जब तक कि सूर्य के सामने नतमस्तक नहीं हो जाया जाये. सूर्य के विपरित रहने पर परछाई को कभी नहीं हराया जा सकता है.सोने वाले जाग जा, संसार मुसाफिरखाना है…
राजन जी महाराज ने कहा कि आपके लिए कलंक वही ले सकता है, जो आपको प्रेम करता है. कैकयी ने खुद को कलंकित कर रामजी की यात्रा पूरी की. मनुष्य अपने ही कर्म से सुखी होता है व अपने ही कर्म से दुखी होता है. राजन जी महाराज ने श्रीराम कथा के दौरान भक्ति भजन के जरिये माहौल को भक्तिमय बनाया. सोने वाले जाग जा, संसार मुसाफिरखाना है…, जो किस्मत जगत की बनावे-संवारे, तो क्यों ना चले हम उन्हीं को पुकारे… जैसे भजनों से माहौल को भक्तिमय बना दिया. कथा श्रवण के लिए आयोजन स्थल पर 30 हजार से अधिक श्रद्धालुओं की श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. बीच-बीच में हो रही भक्ति भजन रसपान कर श्रद्धालू झूमने पर विवश हो गये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है