बोकारो, बिना तपस्या के कुछ नहीं मिलता. अगर मिल जाता है, तो उसका महत्व नहीं रहता. माता पार्वती व शिव प्रसंग की चर्चा करते हुए ये बातें पूज्य राजन जी महाराज ने कही. श्री राजन जी महाराज शुक्रवार को सेक्टर चार स्थित मजदूर मैदान में आयोजित श्रीराम कथा में प्रवचन दे रहे थे. नौ दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन शिव-पार्वती विवाह की चर्चा हुई. बता दें कि श्रीराम कथा आयोजन ट्रस्ट की ओर से आयोजन किया जा रहा है.
कथावाचक राजन जी महाराज ने बताया कि मुनि भारद्वाज ने ऋषि याज्ञवल्क्य से श्री राम जी कौन है का प्रश्न किया, तो याज्ञवल्कय ने भारद्वाज को कहा कि चलिए आपको त्रेतायुग में लेकर चलते है, जहां शंभु एक बार दंडकारण्य अगस्त्य ऋषि के आश्रम में सती जी के साथ गए व श्रीराम कथा का वाचन हो रहा था. जिसे सुनकर महेश अंत्यत प्रसन्न हुए. इस प्रसंग से महाराज ने बाबा शंकर व सती के विछोह की कथा सुनाई और बताई की अगर मन मे कोई बात खटक गयी है, तो वो किसी के उपदेश से नहीं जायेगा. जो समझ ना आये और अपने समझाए तो उसे स्वीकार करना चाहिए.प्रभु के आसरे छोड़ देना चाहिए सबकुछ
कथावाचक महाराज जी ने बताया कि सबकुछ प्रभु लीला समझकर प्रभु के सहारे छोड़ देना चाहिए. संसार सबको त्याग सकती है, लेकिन मां कभी त्याग नहीं कर सकती. महाराज जी ने नारद व हिमाचल जी महाराज की बात कर बताया कि जो लिखा है, वह होगा. उसे टालने नही स्वीकारने का स्वभाव बनाइये. इससे सब सरल हो जायेगा. राजन जी महाराज ने लगन तुमसे लगा बैठे, जन्म-जन्म शिव पद अनुरागा, मेरा आपके कृपा से सब काम हो रहा है… जैसे भक्ति गीत रस से लोगों का ध्यान केंद्रित कराया.जहां सम्मान नहीं मिले, वहां नहीं जाना चाहिए
कथावाचक राजन महाराज जी ने बताया कि मां सती जब दक्ष प्रजापति के घर आयोजित यज्ञ में जाने की जिद करने लगी तो, भगवान शिव ने कहा कि यदपि गुरु, पिता, मित्र व स्वामी के घर बिना निमंत्रण के भी जाया जाता है, लेकिन जहां सम्मान नहीं मिले वहां नहीं जाना चाहिए. राजन जी महाराज के हास्य विनोद के मेल से प्रस्तुत किये गए शिव पार्वती विवाहोत्सव का प्रसंग श्रोताओं को इतना भा गया कि कथा में जुटे भक्त खुद को खड़े होकर झूमने से नही रोक पाये. आयोजन मंडली के बीरेंद्र नाथ चौबे ने बताया कि शनिवार को श्री रामजन्मोत्सव के बारे में बताया जायेगा. कथा में बिहार सरकार की पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी बतौर अतिथि शामिल हुईं.
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