चास, बोकारो-चास सहित आसपास के इलाके में सोमवार को लक्खी पूजा धूमधाम से मनायी गयी. चास पुराना बाजार बमनिया गली स्थित निताई बाड़ी, सिंहवाहिनी मंदिर, लक्खी मेला, फलमंडी सुखदेव नगर सहित विभिन्न स्थानों पर शाम को मां लक्खी की प्रतिमा स्थापित कर लोगों ने पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की.
भोलूर बांध से लायी गयी बारी
श्री श्री कोजागरी लक्खी पूजा ट्रस्ट के सदस्य व स्थानीय श्रद्धालुओं ने भोलूर बांध से बारी लाकर विधिवत पूजा-अर्चना के साथ लक्खी पूजा महोत्सव की शुरुआत की. आयोजक समिति के सदस्यों ने कहा कि बंगाली समुदाय के लोग आज के दिन को कोजागरी लक्खी पूजा के नाम से श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाते हैं. सभी मंदिरों में मां लक्खी की पूजा के लिए महिला श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. माहौल भक्तिमय हो गया.बंगला रीति-रिवाज से 104 वर्षों से निताई बाड़ी में हो रही पूजा
ट्रस्ट के सदस्यों ने कहा कि चास पुराना बाजार बमनिया गली स्थित निताई बाड़ी 104 वर्षों से बंगला रीति-रिवाज से पूजा की जा रही है. चास प्रखंड के बाधाडीह, नावाडीह, पुपुनकी सहित अन्य गांवों में धूमधाम से पूजा की गयी.संगीत कार्यक्रम व जात्रा का होगा आयोजन
चास पुराना बाजार बमनिया गली स्थित निताई बाड़ी में आठ दिवसीय पूजा महोत्सव का आयोजन होता है. मंगलवार को महाप्रसाद वितरण होगा. महोत्सव के दौरान निताई बाड़ी परिसर में पांच दिन बांग्ला संगीत कार्यक्रम व बांग्ला जात्रा का आयोजन किया जायेगा.दुर्गा पूजा के बाद माता के इस रूप का पूजा करना शुभ
ट्रस्ट के आयोजक सदस्यों ने कहा कि आश्विन मास की पूर्णिमा को कोजागरी व्रत रखा जाता है. दुर्गा पूजा के बाद लक्ष्मी माता के इस रूप का पूजा करना बहुत हीं शुभ माना जाता है. बताया कि बेहतर स्वास्थ्य व समृद्धि के लिए धन-धान्य की देवी माता लक्खी की पूजा श्रद्धालु करते है. मान्यता है कि लक्खी पूजा व व्रत करने से जीवन में आ रही विभिन्न आर्थिक समस्याओं से राहत मिलती है.
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