तलगड़िया, चास प्रखंड के चंदाहा गांव स्थित दुर्गा मंदिर में 407 साल से दुर्गा पूजा हो रही है, जो हिंदू-मुसलिम एकता की मिसाल है. चंदाहा में एक ही घर ब्राह्मण परिवार का है. यहां पूजा की शुरुआत तत्कालीन जमींदार लोहाराम राय ने की थी. वे आदगामुलय गांव आसनसोल पश्चिम बंगाल से आकर यहां बसे थे. यह इलाका जंगल से घिरा हुआ था. उस समय चंदाहा काशीपुर स्टेट के अंतर्गत आता था. काशीपुर के राजा ने देवी-देवताओं की पूजा के लिए लोहाराम राय को जमींदार बना कर जमीन दान में दी थी. स्व राय ने उस समय रायबांध के नाम से एक बड़ा तालाब बनवाया. जो आज भी गांव व आसपास के लोगों के लिए लाइफ-लाइन है. जंगल-झाड़ी साफ कर मिट्टी की दीवार, बांस-बिचाली के सहारे झोपड़ी बना कर दुर्गा पूजा शुरू करायी. उस समय से आज तक लोहाराम राय के वंशज ही पूजा करके आ रहे हैं. फिर बाद में राजा ने स्व राय को 60 प्रतिशत जमीन पर प्रजा को बसाने की सलाह दी. इस वर्ष संथालडीह पुरुलिया के पंडित सुभाष चंद्र चटर्जी के मार्गदर्शन में चार दिवसीय पूजा षष्ठी तिथि 28 सितंबर बेलवरण विधिवत पूजा शुरू होगी. पूजा मंडली मुख्य व्रती अवनी राय उर्फ बबलू ठाकुर ने बताया कि इस वर्ष भी सौहार्दपूर्ण वातावरण व सरकारी गाइडलाइन के साथ ही पूजा मनायी जा रही है.
मनोकामना होती है पूरी
पुजारी बबलू राय ने कहा कि विधि विधान से मां दुर्गा की यहां आराधना की जाती है. श्रद्धालु की मनोकामन मां दुर्गा से पूरा करती है. पारूबाला देवी ने बताया कि जब से हमारे वंशज ने मां दुर्गा की पूजा-अर्चना शुरू की है, तभी से हमारा परिवार खुशहाल है. अवनी राय व संजय राय ने कहा कि यहां की पूजा इस क्षेत्र में सद्भावना की मिसाल है. पूजा को लेकर पंडित सुभाष चंद्र चटर्जी व स्व. लोहा राम राय के वंशज बबलू कुमार, पारूबाला, अवनी राय, दिनेश राय, संजय राय, जयशंकर राय, चंडी राय, कार्तिक राय, राहुल कुमार, उज्ज्वल राय, शंकर राय, चंदना राय, गीता राय, अर्पणा राय, गारगी राय, चायना राय काजल राय व ग्रामीण तैयारी में जुटे हैं.
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