बोकारो, कैंप दो स्थित आयुष कार्यालय के सभागार में मंगलवार को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर महर्षि चरक, महर्षि वाग्भट व महर्षि सुश्रुत की याद में गोष्ठी का आयोजन किया गया. उद्घाटन मुख्य अतिथि सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद, जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शिव शंकर पांडेय, सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ एनपी सिंह, डॉ भरत कुमार विक्रम, नीमा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ पूर्णेंदु गोस्वामी, होम्योपैथ चिकित्सक डॉ विनय चंद्र मांझी, सदर प्रभारी प्रबंधक पवन श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से तीनों महर्षि के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन से किया. सीएस डॉ प्रसाद ने कहा कि प्राचीन काल से ही चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद की विशिष्ट पहचान है. यह ना केवल एक चिकित्सा पद्धति है, बल्कि हमारी संस्कृति व धरोहर है. अन्य चिकित्सा पद्धति की तरह ही आयुर्वेद की खास पहचान है. डीएएमओ डॉ पांडेय ने कहा कि मरीजों के बीच लगातार आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति लोकप्रिय होती जा रही है. लोगों का विश्वास आयुर्वेद के प्रति बढ़ा है. इस चिकित्सा पद्धति में लोगों को रोगमुक्त करने की क्षमता है. आज पूरी दुनिया प्राकृतिक चिकित्सा की ओर लौट रही है. आयुर्वेद न केवल उपचार की एक पद्धति है, बल्कि जीवनशैली, खान-पान व मानसिक संतुलन पर भी जोर देता है. आयुर्वेद दिवस का उद्देश्य है कि लोग आयुर्वेद को केवल विकल्प नहीं, बल्कि मुख्यधारा की चिकित्सा के रूप में अपनाये. डॉ गोस्वामी ने कहा कि आयुर्वेद ना केवल चिकित्सा पद्धति है, बल्कि शोध संस्थान भी है. आज तक जो भी दवाओं का निर्माण होता रहा है. आयुर्वेद के शोध के बाद निकले निष्कर्ष से ही होता रहा है. विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति की गिनती में आयुर्वेद है. देश की नयी पीढ़ी को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के बारे में निश्चित रूप से जानकारी होनी चाहिए. विश्व में तेजी से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को अपनाया जा रहा है. बोकारो में लगातार आयुष विभाग की ओर से कैंप लगाकर लोगों को ठीक किया जा रहा है. मौके पर दर्जनों चिकित्सक, गणमान्य लोग व स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे.
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