बोकारो, जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष जय प्रकाश नारायण पांडेय ने सहारा इंडिया के निवेशकों से जुड़े मामलों पर पिछले दिनों सुनवाई की. आयोग में 105 लोगों ने सहारा इंडिया के खिलाफ वाद दाखिल किया. कागजी जांच-पड़ताल के बाद 87 मामलों का निष्पादन किया गया. निवेशकों को भुगतान के लिए सहारा इंडिया को निर्देश दिया गया. आयोग ने कहा कि सहारा इंडिया सेंट्रल रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से निवेश राशि का भुगतान करें. अधिकतम भुगतान की जाने वाली राशि 43 लाख है.
विपक्षी के दोनों तर्कों को माना तथ्यहीन
विपक्षी (सहारा इंडिया) का तर्क था कि यह वाद को-ऑपरेटिव सोसाइटी में ही दाखिल कर निष्पादन किया जा सकता है. परंतु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज किये गये. इसके आधार पर आयोग भी इस तर्क को तथ्यहीन माना. विपक्षी का दूसरा तर्क था कि निवेशक का भुगतान से संबंधित वाद को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है. इसे सर्वोच्च न्यायालय ने निवेशकों को छूट देते हुए अपने निर्णय में कहा है कि निवेशक अपने वाद को किसी भी सक्षम न्यायालय या आयोग में दाखिल कर सकते है. ऐसे में विपक्षी के दोनों तर्कों को तथ्यहीन मानते हुए आयोग ने विपक्षी सहारा इंडिया को भुगतान के लिए आदेश दिया है.
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