Bokaro Elephant Attack, बोकारो, (रामदुलार पंडा): बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड में हाथियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. जगेश्वर बिहार थाना क्षेत्र और तेनुघाट वन प्रक्षेत्र के कई गांवों में बीते दिनों से उत्पात मचाने वाले जंगली हाथी अब और खतरनाक होते जा रहे हैं. दस नवंबर को तिलैया रेलवे अंडरपास के पास दो युवकों की जान लेने के बाद, रविवार देर रात एक हाथी ने ग्राम पंचायत कुंदा के खखंडा गांव की रहने वाली एक महिला को कुचलकर मार डाला.
भागने की कोशिश कर रही थी महिला, हाथी ने सूंड से पटककर कुचला
मिली जानकारी के अनुसार, हाथियों के झुंड से अलग हुआ एक आवारा हाथी देर रात खखंडा गांव में घुस आया. इस दौरान उन्होंने जमकर उत्पात मचाते हुए हाथी ने कई घरों, चहारदीवारियों, एक ऑल्टो कार और एक टैंपो को क्षतिग्रस्त कर दिया. जब वह हाथी एक ग्रामीण महिला सांझो देवी (47) के घर की दीवार को ढहा रहा था, तह वह महिला घर घर में अकेले थी. जान बचाने के लिए वह जैसे ही बाहर निकली, हाथी ने सूंड से धक्का देकर उन्हें जमीन पर गिरा दिया और कुचल डाला. मौके पर ही उनकी दर्दनाक मौत हो गई. यह भयावह मंजर देखने के बाद गांव में चीख-पुकार मच गई.
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ग्रामीणों में आक्रोश, मुख्य सड़क को शव के साथ जाम किया
घटना के बाद सोमवार सुबह आक्रोशित ग्रामीणों ने सांझो देवी के शव के साथ ललपनिया–चार नंबर मुख्य पथ को जाम कर दिया. ग्रामीणों ने वन विभाग की लचर व्यवस्था पर कड़ा रोष जताया. लोगों का कहना है कि हाथियों के लगातार हमलों के बावजूद विभाग न तो गांवों में सुरक्षा का उपाय कर रहा है और न ही हाथियों को खदेड़ने की कोई प्रभावी कार्रवाई.
एक सप्ताह में तीन मौतें, शाम होते ही वीरान हो जाती हैं सड़कें
विदित हो कि मात्र एक सप्ताह पहले तिलैया इलाके में पूर्व मुखिया बालेश्वर महतो के पुत्र प्रकाश कुमार महतो (31) और चरकू महतो (37) को हाथियों ने कुचलकर मार डाला था. महज सात दिनों में गांव के तीन लोगों की मौत होने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. शाम के छह बजते ही इलाके की सड़कें पूरी तरह सुनसान हो जाती हैं. ललपनिया–चार नंबर मुख्य मार्ग पर भी लोग अंधेरा होने के बाद यात्रा करने से बच रहे हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन और वन विभाग से तत्काल प्रभावी कदम उठाने, हाथियों को सुरक्षित रूप से जंगल में वापस पहुंचाने और प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है.

