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… तो पलायन कर जायेंगे प्लॉटधारी
बोकारो: बोकारो स्टील संयंत्र की स्थापना के साथ हजारों लोगों को रोजगार दिया गया. कुछ को परोक्ष रूप से प्लांट से जोड़ा गया, कुछ को रोजगार के अन्य अवसर दिये गये. शहर को बाजार उपलब्ध कराने के लिए प्रबंधन ने लीज पर प्लॉट देने की योजना बनायी. मकसद था स्थानीय व बाहरी लोगों को व्यवसाय […]
बोकारो: बोकारो स्टील संयंत्र की स्थापना के साथ हजारों लोगों को रोजगार दिया गया. कुछ को परोक्ष रूप से प्लांट से जोड़ा गया, कुछ को रोजगार के अन्य अवसर दिये गये. शहर को बाजार उपलब्ध कराने के लिए प्रबंधन ने लीज पर प्लॉट देने की योजना बनायी. मकसद था स्थानीय व बाहरी लोगों को व्यवसाय के लिए जगह उपलब्ध कराने के साथ-साथ रहने की जगह देना. बोकारो सेक्टर क्षेत्र में 1128 प्लॉट हैं. योजना को लोगों ने हाथों-हाथ लिया, लेकिन अब यह प्लॉट लीजधारियों के लिए मुसीबत बन रहा है. लीज नवीकरण के शुल्क में बेतहाशा वृद्धि प्लॉटधारियों को बोकारो से दूरी बनाने पर मजबूर कर रहा है.
बाहरी टीम कर रही मूल्यांकन : स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) प्लॉट लीज नवीकरण के लिए निजी एजेंसी से प्लॉट का वैल्यूएशन करा रही है. वैल्यूएशन के मापदंड में जमीन की कीमत वर्तमान समय के अनुसार रखा जा रहा है, जबकि प्लॉट की कीमत में कटौती की जा रही है. इससे प्लॉटधारी को दोहरा नुकसान हो रहा है. प्लॉट के निर्माण खर्च को कम बताने से भी नवीकरण का चार्ज बढ़ रहा है. बोकारो में औसत आकार के प्लॉट का नवीकरण का चार्ज भी करोड़ों में आंका रहा है.
7000 का प्लॉट बना पांच करोड़ का : 33 साल पहले बोकारो में प्लॉट की कीमत औसतन सात हजार रु थी, लेकिन इन्हीं प्लॉट का वैल्यूएशन 50 लाख से पांच करोड़ तक हो गया है. शुरुआती दौर में लीज पर प्लॉट देने के लिए प्रबंधन ने व्यक्तिगत व सार्वजनिक तौर पर विज्ञापन के जरिये इच्छुकों से आवेदन आमंत्रित किया था, लेकिन नवीकरण का फैसला लेने में लीजधारियों से राय भी नहीं ली गयी. प्रबंधन की टाउन व डेवलपमेंट कमेटी में सिर्फ बीएसएल के ही अधिकारी शामिल हैं, लीजधारियों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है.
कैसे महंगा हो रहा है नवीकरण : प्लॉट का मूल्यांकन जमीन व मकान के अनुसार किया जा रहा है. साथ में डेवलपमेंट चार्ज की भी बात हो रही है. जमीन का मूल्यांकन वर्तमान शहर के अनुसार हो रहा है. सेल की सभी इकाई के अनुसार जमीन का मूल्यांकन किया जा रहा है, लेकिन बोकारो स्टील सिटी की स्थिति सेल के अन्य शहर के मुताबिक नहीं होने के कारण प्लॉटधारी इसका विरोध कर रहे हैं. उदाहरण के लिए यदि प्लॉट का वैल्यू एक करोड़ आंका गया है तो प्लॉट धारी को एकमुश्त 25 प्रतिशत (25 लाख रु) देना होगा. साथ ही तीन प्रतिशत यानी तीन लाख रु सालाना के हिसाब से चार्ज देना होगा. यह चार्ज पूर्व के दिनों में अधिकतम पांच हजार रु था.
अलग से भवन बनाने पर कंगाल होने की आशंका : सेल के आदेशानुसार भवन के अतिरिक्त निर्माण के बाद लीजधारियों की परेशानी ओर बढ़ जायेगी. पहले निर्माण कराने पर 2500 रु वर्ग मीटर के हिसाब से वसूली होती थी. नये नियम के अनुसार यह चार्ज 46000 रु तक हो गया है. यदि प्रबंधन से इजाजत लेकर निर्माण किया जाये तो 34000 रु प्रति वर्ग मीटर की दर से चार्ज लिया जायेगा. निर्माण में अधिक समय लगने पर प्लॉटधारियों को एक लाख रु जुर्माना व 20 प्रतिशत एलॉटमेंट टैक्स देना पड़ेगा.
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