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आवारा हवा का झोंका हूं…पर झूमा बोकारो

प्रभात खबर का गुरु सम्मान समारोह-सह-अल्ताफ राजा कल्चरल नाइट बोकारो : विविधता से भरी भारतीय संस्कृति के तार गीत-संगीत से झंकृत होते हैं. रविवार को स्टील सिटी बोकारो की धरती पर यह फिर साबित हुआ. मौका था प्रभात खबर के गुरु सम्मान समारोह-सह-अल्ताफ राजा कल्चरल नाइट का. स्थान था-बोकारो क्लब. पश्चिम की ओर सूरज के […]

प्रभात खबर का गुरु सम्मान समारोह-सह-अल्ताफ राजा कल्चरल नाइट

बोकारो : विविधता से भरी भारतीय संस्कृति के तार गीत-संगीत से झंकृत होते हैं. रविवार को स्टील सिटी बोकारो की धरती पर यह फिर साबित हुआ. मौका था प्रभात खबर के गुरु सम्मान समारोह-सह-अल्ताफ राजा कल्चरल नाइट का. स्थान था-बोकारो क्लब. पश्चिम की ओर सूरज के ढलते ही गुनगुनी ठंड के साथ शाम की दस्तक हुई और इसके साथ ही दुधिया रोशनी व अत्याधुनिक लाइट से चकाचौंध खूबसूरत स्टेज पर पहुंचे अल्ताफ राजा. अल्ताफ ने माइक क्या पकड़ा,
देखते-देखते मुट्ठी से रेत की तरह समय निकलता गया. लोग डटे रहे. छात्र, युवा, अधेड़, बुजुर्ग और बड़ी संख्या में मौजूद युवतियों व महिलाओं ने अल्ताफ की एक के बाद एक प्रस्तुति का पूरा आनंद उठाया. आवारा हवा का झोंका हूं… और तुम तो ठहरे परदेशी… पर लोग झूम उठे. हर प्रस्तुति के पहले अल्ताफ अपनी शेरो-शायरी से दर्शकों को ताली बजाने के लिए मजबूर कर देते.
इसके ठीक पहले प्रभात खबर के गुरु सम्मान-2016 कार्यक्रम के तहत बोकारो के विभिन्न स्कूलों के कुल 80 प्राचार्यों, शिक्षकों व शिक्षिकाओं को सम्मानित किया गया. मुख्य अतिथि बोकारो के विधायक बिरंची नारायण, विशिष्ट अतिथि बेरमो विधायक योगेश्वर महतो बाटुल व बोकारो के एसपी वाइएस रमेश ने प्राचार्यों, शिक्षकों व शिक्षिकाओं को सम्मान स्वरूप प्रतीक चिह्न प्रदान किये. बोकारो की धरती पर अपने तरीके के इस अनूठे कार्यक्रम की सभी ने मुक्त कंठ से सराहना की. लोगों का कहना था
कि बीते पांच दशक से भी अधिक समय से देश के औद्योगिक मानचित्र पर बोकारो की पहचान स्टील सिटी के रूप में रही है. इधर, बीते दो दशक के दौरान देश के शिक्षा संसार में भी बोकारो ने अपनी मजबूत जगह बनायी है. वर्तमान में झारखंड, बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों से हर साल करीब 5000 स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए आते हैं. विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी को लेकर बोकारो को पूर्वी भारत का कोटा कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी. साथ ही प्लस-टू तक की पढ़ाई में बोकारो का कोई जोड़ नहीं है. एजुकेशन हब के रूप में बोकारो को एक नयी पहचान दिलाने का श्रेय यहां के स्कूलों और शिक्षकों को जाता है.

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