Bokaro News : राकेश वर्मा/ नागेश्वर,
बेरमो/ललपनिया.
बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड की स्वांग कोलियरी के पानी से भरी बंद पड़ी खदानों में मछली पालन कर 51 परिवार आत्मनिर्भर बन गये हैं. सारे सदस्य नव युवक संघ मत्स्य जीवी सहयोग समिति लिमिटेड, स्वांग उत्तरी से जुड़े हैं. यहां के केज से एक माह के अंतराल पर लगभग आठ टन मछली बिहार के पटना, सासाराम, डेहरी ऑनसोन भेजी जा रही है. इसके अलावा झारखंड के हजारीबाग, बोकारो, धनबाद, रांची भी यहां से मछली भेजी जा रही है.मत्स्य विभाग की योजना से जुड़े सैकड़ों परिवार :
इस संबंध में समिति के अध्यक्ष आनंद निषाद, सचिव नरेंद्र निषाद ने कहा कि मत्स्य विभाग की योजना से जुड़ कर लगभग चार से पांच सौ परिवारों का भरण-पोषण हो रहा है. योजना के संचालन और योजना से जोड़ने में मत्स्य विभाग से जुड़े युवा सामाजिक कार्यकर्ता सह उद्यमी सन्नी निषाद का बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने योजना से जुड़ने और रोजगार से जोड़ने में निरंतर हम सभी को प्रोत्साहित किया. स्वांग मत्स्य विभाग में वर्तमान समय में दो फेज में 38 केजों का निर्माण किया गया है. जरूरत है और भी केज की संख्या बढ़ाने की, ताकि और भी लोग योजना से जुड़ सकें. समिति के प्रतिनिधियों ने बताया कि योजना के क्रियान्वयन में मत्स्य विभाग द्वारा अनुदान में दो लाख रुपये एवं मछली का जीरा मुहैया कराया गया. इसके अलावा दो फेज में केज के निर्माण में 3 लाख 22 हजार रुपये मिले. इसके अलावा दो नाव दिया गया. योजना के संचालन में सबसे बड़ी बात यह है कि खदान का पानी कभी सूखता नहीं है.11 माह पहले योजना से जुड़ने का दिया प्रस्ताव :
समिति में पंकज साहनी, कुणाल साहनी, चंदन साहनी, राजू साहनी, सुजीत निषाद, राजेश निषाद, धर्मेंद्र निषाद, विक्की निषाद सहित कुल 27 युवकों ने मत्स्यजीवी सहयोग समिति के माध्यम से करीब 10-11 माह पहले एक प्रपोजल बनाकर बोकारो जिले के डीएफओ तथा मत्स्य जीवी के कार्यालय में अधिकारियों से मिलकर केज कल्चर से जुड़ने का प्रस्ताव रखा. समिति ने पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख से भी पत्राचार किया था. श्री पत्रलेख ने इस बाबत एक आदेश दिया था. आवेदन करने के कुछ माह बाद ही जिला मत्स्य विभाग ने करीब 30.96 लाख रुपये का लोन प्रदान करते हुए केज कल्चर के लिए मत्स्यजीवी सहयोग समिति, जरीडीह बाजार को सामान मुहैया कराया. इसमें 10 फीसदी राशि लगभग साढ़े तीन लाख रुपये 27 युवकों ने आपस में मिलकर इकट्ठा किये. राशि मत्स्यजीवी बोकारो जिला कार्यालय को बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से दी गयी.50 युवाओं ने ली है मछली पालन की ट्रेनिंग :
समिति के कुणाल साहनी ने बताया कि फिलहाल पानी से भरे बंद खदान में नौ केज डाले गये हैं. एक केज की कीमत 3.44 लाख रुपये है. एक केज 8 मीटर गुणा 6 मीटर का है. इसमें चारों तरफ जाली लगायी गयी है. सरकारी स्तर पर तीन बोट और नौ सुरक्षा जैकेट दिये गये हैं. प्रत्येक केज के लिए 3-3 युवाओं का रजिस्टर्ड संगठन है. मत्स्यजीवी सहयोग समिति, जरीडीह बाजार से जुड़े युवकों ने केज कल्चर के माध्यम से मछली पालन के लिए रांची के धुर्वा में चार बार पांच दिवसीय प्रशिक्षण लिया. ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद सभी को सर्टिफिकेट मिला. 50 युवकों ने ट्रेनिंग ली है.15 टन मछली भेजी गयी सासाराम :
ट्रेनिंग के बाद जिला मत्स्य विभाग ने समिति को केज कल्चर का सामान उपलब्ध कराया तथा विभाग से जुड़े लोगों ने ही जरीडीह बाजार रेलवे फाटक से सटे सीसीएल की बंद पड़ी खदान के किनारे केज कल्चर बनाकर दिया. इसके बाद विभाग ने 55 हजार पीस एक से डेढ़ इंच साइज का पकेसियर्स (बचवा मछली) का जीरा उन्हें दिया गया. छह माह बाद मछली एक-एक किलो की हो गयी. करीब 15 टन मछली 110 रुपये किलो की दर से डेढ़ माह पहले बिहार के सासाराम भेजी गयी थी. मछली की बिक्री से जो पैसे आये, उसमें से कुछ राशि समिति सदस्यों बीच बांट दी गयी.बेरमो में दो दर्जन से ज्यादा बंद खदानों में है लाखों गैलन पानी
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल के बीएंडके, ढोरी व कथारा एरिया में दो दर्जन से ज्यादा बंद खदानों में लाखों गैलन पानी है.
बीएंडके एरिया :
बोकारो कोलियरी अंतर्गत तीन नंबर क्वायरी, बेरमो रेलवे गेट के समीप पांच नंबर खदान और जरीडीह बाजार के निकट सी पैच खदान, केएसएसपी फेज 2 की बंद यूजी माइंस, केएमपी यूजी माइंस (दो खदान) कारो खुली खदान तथा भूमिगत खदान (दो खदान), करगली कोलियरी खुली खदान व भूमिगत खदान (दो खदान)ढोरी एरिया :
ढोरी खास मैदान, ढोरी की बेरमो सीम, ढोरी कांटा घर के समीप बंद खदान, मकोली सात नंबर बंद खदान, एएडीओसीएम परियोजना की ढोरी इस्ट माइंस, बंद पिछरी कोलियरी, पांच नंबर धौड़ा स्थित नाथून धौड़ा पीसीसी खदान और बेरमो सीम खदानकथारा एरिया :
कोलियरी में वर्षों से बंद एक नंबर माइंस एवं स्वांग गोविंदपुर फेज टू क्वायरी नंबर 2.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

