बेरमो : बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल के कथारा, ढोरी व बीएंडके एरिया की विभिन्न रेलवे साइडिंग से रैक में ओवरलोड कोयला भेजे जाने का मामला प्रकाश में आया है. इससे रेलवे खासा परेशान है. हालांकि ओवरलोड कोयला के एवज में कोयला ले जाने वाली बिजली कंपनियों से रेलवे तीन से पांच गुणा तक डैमरेज चार्ज करता है.
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ओवरलोड रैक भेजने से परेशान है रेलवे
बेरमो : बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल के कथारा, ढोरी व बीएंडके एरिया की विभिन्न रेलवे साइडिंग से रैक में ओवरलोड कोयला भेजे जाने का मामला प्रकाश में आया है. इससे रेलवे खासा परेशान है. हालांकि ओवरलोड कोयला के एवज में कोयला ले जाने वाली बिजली कंपनियों से रेलवे तीन से पांच गुणा तक डैमरेज चार्ज […]
फलत: पटरी सहित रेल यातायात में बाधा होने से रेलवे परेशान है. दूसरी ओर बिजली कंपनी से डैमरेज भरने के कारण कोयला की दर बढ़ जाती है. इससे बिजली उत्पादन की लागत भी बढ़ जाती है. इसका अतिरिक्त भार अंतत: बिजली उपभोक्ता पर ही पड़ता है.
ओवरलोड से पटरी के क्रैक होने की आशंका : रेलवे सूत्रों के अनुसार ओवरलोड रैक के कारण रैक की रफ्तार धीमी हो जाती है. उक्त रैक को 100 किमी से लेकर 500-700 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती है. ऐसे में उक्त रेल मार्ग में चलने वाली सवारी व एक्सप्रेस ट्रेन का समय भी बर्बाद होता है और ट्रेन लेट हो जाती है. पटरी पर क्षमता से ज्यादा भार पड़ने के कारण ठंड के मौसम में पटरी क्रैक करने की आशंका बनी रहती है.
पिछले एक माह में हुए ओवरलोड
कंपनी साइडिंग तिथि ओवरलोड (टन में)
टीपीएसएम(कांटी) जारंगडीह-2 नंबर 27-12 239.6
आरडीआर(आरटीपीएस) तारमी-1 नंबर 01-12 199.2
केपीएसएच कोडरमा जारंगडीह-1 नंबर 11-12 197.6
केपीएसएच कोडरमा तारमी 09-12 196.8
एलपीजीयू ललितपुर तारमी 11-12 174.2
केपीपीएस डब्ल्यूपीडीसीएल ढ़ोरी 25-12 155
केपीपीएस डब्ल्यूपीडीसीएल ढोरी 25-12 151.2
टंडा एनटीपीसी जारंगडीह-2 नंबर 23-12 151
दादरी एनटीपीसी जारंगडीह-2 नंबर 30-12 150
केपीएसएच कोडरमा तारमी 29-12 149
एमटीपीएस मिजिया कारो-करगली 07-12 102
क्या कहता है नियम
जानकारी के अनुसार रेल वैगन के प्रत्येक बक्से की क्षमता अलग-अलग होती है. 80 से 90 टन तक इनकी क्षमता होती है. रेलवे प्रत्येक बक्से में 90.6 टन तक कोयला डालने की छूट देती है. अर्थात 58 बक्से में 5254.8 टन तक कोयला डाल कर भेजा जा सकता है. सभी बक्से में बराबर अनुपात में ही कोयला होना चाहिए, लेकिन यहां ऐसा नहीं करके किसी किसी बक्से में अत्यधिक कोयला डाला जाता है. इससे रेल पटरी पर प्रतिकूल असर पड़ता है.
सूत्रों के अनुसार यहां 90-100 टन से लेकर 200-240 टन तक ज्यादा कोयला भेजा जा रहा है. किसी रैक में सामान्य तो किसी में ज्यादा कोयला लोड करने के बाद सिर्फ कागज में शो किया जाता है कि कोयले को अन्य बोगी में एडजस्ट कर दिया है, पर यहां अतिरिक्त भार वाली बोगी से कोयले को हटाकर दूसरे में नहीं डाला जाता है.
कोल इंडिया समेत सभी इकाइयों से कहा गया है’
धनबाद रेल डिवीजन के ट्रैफिक इंस्पेक्ट (कोल) ने कहा कि सीसीएल की रेलवे साइंडिग से रैक में ओवरलोड कोयला भेजने की लगातार शिकायत मिल रही है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह सही नहीं है. रेलवे इस पर काफी गंभीर है. उन्होंने कहा कि हमलोगों ने कोल इंडिया की सभी अनुषांगिक इकाइयों (सीसीएल सहित) के सीएमडी को पत्र लिखकर ओवलरोड पर रोक लगाने को कहा है.
अधिकारी ने कहा कि लोडिंग प्वाइंट सीसीएल का है, रेलवे का काम सिर्फ रेल चलाना है. हालांकि ओवरलोड के केस में रेलवे पांच गुणा ज्यादा पैनल लोडिंग चार्ज के रूप में वसूलता है, पर रेलवे इसे अपनी कमाई का साधन नहीं मानता है. रेलवे की पहली प्राथमिकता सुरक्षा है.
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