सीपी सिंह, बोकारो : खेती को नुकसान का सौदा बता कर बहुत लोग इससे दूरी बना रहे हैं. विपरीत परिस्थिति में कृषक शहर की ओर पलायन भी कर रहे हैं. लेकिन, बोकारो स्टील सिटी के शहरी छांव में कुछ लोग खेती कर मिसाल बन रहे हैं. खेती भी ऐसी कि मुनाफा शुरुआती साल में ही सुनहरे भविष्य की ओर इशारा कर रहा है. सेक्टर 11 से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित भतुआ गांव में तरबूज व खरबूज की खेती लोगों का जीवन बदल रहा है.
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भतुआ गांव में लोगों के सुनहरे भविष्य की ओर इशारा कर रही तरबूज व खरबूज की खेती
सीपी सिंह, बोकारो : खेती को नुकसान का सौदा बता कर बहुत लोग इससे दूरी बना रहे हैं. विपरीत परिस्थिति में कृषक शहर की ओर पलायन भी कर रहे हैं. लेकिन, बोकारो स्टील सिटी के शहरी छांव में कुछ लोग खेती कर मिसाल बन रहे हैं. खेती भी ऐसी कि मुनाफा शुरुआती साल में ही […]
3.5 एकड़ भूमि पर पारंपरिक खेती को आधुनिक रंग दिया जा रहा है. खास बात यह कि खेती में सिर्फ जैविक खाद व कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है, ताकि मिट्टी व उत्पाद की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर न हो.
कृषि कार्य ऑरगेनिक खेती किसान फार्म हाउस के बैनर तले होता है. हाउस से पांच लोग जुड़े हुए हैं. सबसे मजेदार बात यह कि कृषि कार्य में लगे हुए सभी लोग पहले खेती के इतर टेक्निशीयन, व्यवसाय या ठेका मजदूरी करते थे.
ऐसे हुई शुरुआत : कृषि कार्य कर रहे बबन सिंह ने बताया : अपोलो अस्पताल- दिल्ली में तकनीशियन (बी-टेक) पद पर कार्य कर रहे संजीव कुमार उर्फ देव बाबा के जरिये खेती कार्य शुरू किया गया.
संजीव कुमार दिल्ली व अन्य
राज्यों में भ्रमण कर खेती के गुर सीखे. रामनगर कॉलोनी, चास में रहने वाले संजीव कुमार की दोस्ती रेडक्रॉस सोसाइटी-बोकारो में कार्यरत राजकुमार महथा से थी. दोस्ताना बातचीत में ही संजीव ने खेती का जिक्र किया था. राजकुमार ने यह बात अपने मामा बबन सिंह से साझा की. इसके बाद मार्च 2018 में 30 डिसमिल से खेती कार्य शुरू हुआ.
500 किलो खरबूज व 300 किलो तरबूज हुआ तैयार
ऑरगेनिक खेती किसान फार्म हाउस की अध्यक्षा उषा देवी (10वीं पास) ने बताया : इस साल 500 किलो से अधिक खरबूज तैयार हुआ था. सेक्टर 05 हटिया समेत शहर के स्थानीय बाजारों में सीधे ग्राहकों को उत्पाद बेचा गया. वहीं 300 किलो तरबूज भी बाजार में बिका.
बताती हैं : तरबूज की क्वालिटी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई तरबूज 09 किलो से अधिक वजन का तैयार हुआ. ओला व असमय बारिश से 100 किलो से अधिक खरबूज बर्बाद भी हुआ.
एक-एक बूंद पानी का इस्तेमाल, खरपतवार का डर नहीं
एक ओर कृषक श्याम कुमार सिंह बताते हैं : संजीव कुमार के आइडिया के अनुसार ही खेती होती है. खेत को पंक्तिदार मेढ़ में बांट दिया गया है. हर मेढ़ को प्लास्टिक से कवर कर दिया गया है.
कवर के अंदर पाइप लाइन (0.25 इंच) बिछायी गयी है, इससे समय-समय पर बुंद-बुंद कर पानी गिरता है. उसी मेढ़ पर बीजारोपण किया जाता है. प्लास्टिक से कवर होने के कारण मेढ़ पर घास समेत अन्य खरपतवार नहीं उगता. मिट्टी में नमी भी लंबे समय तक बनी रहती है. उत्पादन ज्यादा होता है.
बबन सिंह ने बताया : कीटनाशक व खाद नर्सरी में ही तैयार किया जाता है. कीटनाशक नीम के पत्ता को खौला कर बनाया जाता है. वहीं गोबर, गौमूत्र, गुड़ व बेसन से खाद बनाया जाता है.
बताते हैं : पीली बलुआ मिट्टी होने के बाद भी सही तरीका से खेती करने से उत्पादन ज्यादा होता है. कृषि कार्य प्रारंभ करने से लेकर अभी तक 04 लाख रुपया खर्च आया है. पारिवारिक उधार से कृषि शुरू किया गया, लेकिन आने वाले दिनों में यह भारी मुनाफा देगा. श्री सिंह ने बताया : बीएसएल का नोटिफाइड एरिया होने के कारण कोई भी सरकारी योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है.
ये तो बस शुरुआत है
बबन सिंह ने बताया : इस साल तरबूज-खरबूज के अलावा छोटे स्तर पर गेंदा फुल व मशरूम की खेती हुई है. इसे आने वाले दिनों में वृहद रूप देना है. इसके अलावा लीची, आम, सहजन की खेती की शुरुआत करनी है. बताते हैं : हमारे प्रेरक संजीव कुमार हैं. वो कोलकाता स्थित नर्सरी से बेर का पौधा लाने गये हैं. कहा : खेती में बहुत मुनाफा कमाया जा सकता है. बर्शते खेत को समय देना होगा. खेत में रहकर शहर की सोच रखने से खेती नहीं हो सकती.
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