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बोकारो : …तो क्या इस साल भी हो गया कंबल घोटाला !
तय मानक से कम निकल रहा है कंबल का वजन, डीसी ने दिया आपूर्तिकर्ता को शो-कॉज का निर्देश कमला स्टोर, बालूमाथ को मिला है टेंडर बोकारो : पिछले साल के कंबल घोटाला की जांच अभी पूरी भी नहीं हुई है कि इस साल कंबल फिर से सुर्खियों में है. दरअसल जरूरतमंदों के बीच कंबल वितरण […]
तय मानक से कम निकल रहा है कंबल का वजन, डीसी ने दिया आपूर्तिकर्ता को शो-कॉज का निर्देश
कमला स्टोर, बालूमाथ को मिला है टेंडर
बोकारो : पिछले साल के कंबल घोटाला की जांच अभी पूरी भी नहीं हुई है कि इस साल कंबल फिर से सुर्खियों में है. दरअसल जरूरतमंदों के बीच कंबल वितरण के लिए श्रम विभाग की ओर से टेंडर कराया गया था. कंबल का मानक धोने के बाद दो किलो से ज्यादा रखा गया.
बालूमाथ के कमला स्टोर ने टेंडर के वक्त मानक से बेहतर प्रदर्शन किया. धोने के बाद कंबल का वजन 02 किलो 300 ग्राम था. जबकि बिना धोये कंबल 02 किलो 900 ग्राम का था. इसके मद्देनजर कमला स्टोर को टेंडर दे दिया गया. लेकिन, जिन कंबलों की आपूर्ति बोकारो जिला में की गयी है, उसका वजन बिना धोये ही 02 किलो है. मतलब तय मानक से बहुत कम. इस स्थिति से अंदाजा लगाया जा सकता है कि है कंबल आपूर्ति में गड़बड़ी हुई है.
कैसे हुआ खुलासा
बोकारो डीसी मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने 200 कंबल वितरण के लिए मंगाया था. बांटने के पूर्व जब कंबल का वजन महसूस किया तो, उन्हे कम वजन का एहसास हुआ. इसके बाद कंबल का वजन कराया गया. बिना धोये कंबल का वजन दो किलो निकला. इसके बाद डीसी ने उपश्रमायुक्त को कंबल वितरक से शो-कॉज का निर्देश दिया है.
सभी प्रखंड अधिकारी लेंगे सैंपल
कंबल की आपूर्ति जिला के सभी प्रखंड में की जा चुकी है. इसे देखते हुए डीसी ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को कंबल का सैंपल लेने का निर्देश दिया है. हर बकेट में से पांच प्रतिशत सैंपल कलेक्ट कर वजन कराने का निर्देश मिला है.
कल्याण विभाग के बदले श्रम विभाग को मिली जिम्मेदारी : पिछले साल तक कंबल वितरण की जिम्मेदारी कल्याण विभाग की थी. लेकिन 2017 में झारक्राफ्ट व कंबल घोटाला (जांच चल रही है) के आधार पर 2018 में कंबल वितरण का जिम्मा श्रम विभाग को दिया गया. 22 नवंबर को इस संबंध में निर्देश दिया गया था.
फ्लैशबैक
हाल में ही महालेखाकार की रिपोर्ट में कंबल घोटाला की परत-दर-परत खोली गयी है. निष्कर्ष यह है कि इसके जरिए अधिकारियों ने राज्य सरकार को 18.41 करोड़ रुपये का चूना लगाया. इस घपले को अंजाम देने के लिए अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेज का सहारा लिया गया.
झारक्राफ्ट ने विभिन्न स्वयं सहायता समूहों, प्राथमिक बुनकर सहकारी समितियों को कंबल बुनाई के लिए धागा और हथकरघा देने की योजना बनायी थी, ताकि बुनकरों को रोजगार मिल सके. कंबल बनाने की प्रक्रिया में पानीपत की नूतन इंडस्ट्री भी शुमार थे. तैयार कंबल राज्य के विभिन्न जिलों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को सप्लाई करना था. झारक्राफ्ट ने जनवरी 2018 तक इस मद में 19.39 करोड़ रुपये खर्च किये.
कंबल की ढुलाई हुई ही नहीं
ऑडिट के दौरान पाया गया कि 23 अक्तूबर 2017 से 31 दिसंबर 2017 की अवधि में 4,10,844 अर्द्ध परिष्कृत कंबल झारखंड से धुलाई के लिए पानीपत भेजे गये. इसमें 83 ट्रकों के जरिए ढुलाई दिखाया गया. आश्चर्यजनक तौर पर जिन नंबरों से ढुलाई दिखायी गयी उसमें से किसी ने भी सासाराम टोल पार करने के बाद दाहर या भागन टोल प्लाजा पार नहीं किया.
वजन मापी के दौरान पाया गया कि कंबल की गुणवत्ता काफी खराब थी. इसे देखते हुए उपश्रमायुक्त को संबंधित कंपनी से 24 घंटा के अंदर स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया गया है. साथ ही सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को भी कंबल का सैंपल कलेक्ट करने का निर्देश दिया गया है.
मृत्युंजय कुमार बरनवाल, डीसी, बोकारो
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