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बोकारो में जिला स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला नहीं, किसान परेशान
चास : बोकारो जिला कृषि विभाग के पास जिला स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला नहीं है. इस कारण किसानों को बहुत परेशानी हो रही है. फिलहाल कृषि विभाग किसानों के खेत की मिट्टी का जांच किराये के प्रयोगशाला में करा रही है. इस वजह से किसानों को समय पर जांच रिपोर्ट नहीं मिल पाती है. समय […]
चास : बोकारो जिला कृषि विभाग के पास जिला स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला नहीं है. इस कारण किसानों को बहुत परेशानी हो रही है. फिलहाल कृषि विभाग किसानों के खेत की मिट्टी का जांच किराये के प्रयोगशाला में करा रही है. इस वजह से किसानों को समय पर जांच रिपोर्ट नहीं मिल पाती है. समय पर रिपोर्ट नहीं मिलने से किसानों को पुराने पद्धति से ही खेती करनी पड़ रही है.
इस कारण बोकारो जिला अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बन पा रहा है साथ ही किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. गौरतलब हो कि कृषि विभाग की ओर से फिलहाल कृषि वैज्ञानिक केंद्र पेटरवार व पेटरवार में ही पीपीपी मोड में चल रहे एक प्रयोगशाला से मिट्टी जांच कराया जाता है.
इसके एवज में उन्हें भुगतान किया जाता है. ऐसे भी पेटरवार जिला का अंतिम छोर होने के कारण समय पर मिट्टी का सैंपल नहीं जा पाता है. गौरतलब हो कि बोकारो को जिला बने 27 वर्ष व राज्य गठन के 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी बोकारो जिला को अभी तक जिला स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला नहीं मिला है. जबकि राज्य सरकार की ओर से आधुनिक तरीके से खेती करने की बात किसानों से की जाती है.
जिले में 278520.90 हेक्टेयर भूमि : जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 278520.90 हेक्टेयर क्षेत्र में है. जबकि वास्तविक खेती योग्य भूमि 86989.83 हेक्टेयर है. वहीं 9868.00 हेक्टेयर सिंचित भूमि है. जबकि कुल दोन भूमि 44203.84 हेक्टेयर है. कुल टांड़ भूमि 42785.99 हेक्टेयर है.
इन सभी भूमि में खेती की जाती है. वहीं दूसरी ओर जिले में 47112.46 परती भूमि है. 3268.22 हेक्टेयर बागवानी लायक भूमि है. खेती योग्य बंजर भूमि 15852.14 हेक्टेयर है. चारागाह 5303.16 हेक्टेयर, गैर कृषि योग्य बंजर भूमि 38432.06 हेक्टेयर, क्षारीय खेती अयोग्य भूमि 27450.50 हेक्टेयर, वन क्षेत्र भूमि 53243.93 हेक्टेयर है. कृषि विभाग के अनुसार जिले में लघु व सीमांत किसानों की संख्या 53593 है.
क्या कहते हैं किसान
सरकार सिर्फ किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की बात करती है. जबकि जिला कृषि विभाग के पास मिट्टी जांच प्रयोगशाला भी नहीं है. इससे किसानों को परेशानी होती है.
सीताराम महतो, कालापत्थर
झारखंड बने 18 वर्ष बीत गये, अभी तक किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की सरकार की घोषणा कागजी साबित हो रही है. इस दिशा में सरकार को प्रयास करना चाहिये.
मनोज महतो, बाधाडीह
किसानों को सरकारी योजनाओं का जानकारी समय पर नहीं मिल पाती है. इस कारण किसान आज भी पुराने पद्धति से खेती करते हैं. मिट्टी जांच की व्यवस्था जिले में नहीं है.
सुशील कुमार, अलुवारा
सरकार को किसानहित में जमीनी स्तर पर कार्य करने की जरूरत है. सिर्फ कागजों पर ही अधिकारी कार्य कर रहे हैं. किसान प्रत्येक वर्ष पूंजी लगाते हैं, लेकिन फसल खराब हो जाती है.
सबरू रजवार, उदलबनी
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