महुआटांड़ : संताली बुद्धिजीवी व आयोजन समिति के सलाहकार सोमाय टुडू कहते हैं कि लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ से हमारी गहरी आस्था जुड़ी है. यहीं पर हम संतालियों के गौरवशाली संविधान की रचना हुई. वह भी खुद लुगुबुरु की अध्यक्षता में.
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इससे इस महान स्थान की महत्ता को समझा जा सकता है. सोमाय टुडू झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के चाचा और दिशोम गुरु शिबू सोरेन के दामाद हैं.

वहीं, लुगुबुरु के गोड़ेत सह ऑल इंडिया संथाल फिल्म एसोसिएशन के महासचिव जमशेदपुर निवासी सुरेंद्र टुडू का कहना है कि लुगुबुरु घांटाबाड़ी का आह्वान किये बगैर उनकेसमाज के लोग कोई काम नहीं करते. यहां की मिट्टी स्वर्ग के तुल्य है.उनकी संस्कृति व धार्मिक पहचान के साथ-साथ यह एक महान धर्मस्थल है.

बाहाराम हांसदा कहते हैं, ‘लुगुबुरु हमारे इष्टदेव हैं. इनके स्मरण भर से दुःख दूर होते हैं. संतालियों के संविधान रचयिता हैं.’

झारखंड के पड़ोसी राज्य ओड़िशा के बारीपदा निवासी संताली बुद्धिजीवी फागुराम मरांडी कहते हैं कि देश-विदेश में जहां भी संताली हैं, लुगु बाबा से जुड़े हैं. हमारे हर अनुष्ठान में हम लुगुबुरु का आह्वान करते हैं. लुगुबुरु से संतालियों का अतीत जुड़ा है.

ओड़िशा के मयूरभंज से आयीं संताली बुद्धिजीवी चूड़ामणि देवी कहती हैं कि लुगुबुरु के प्रति हमारी गहरी आस्था की वजह से हम लोग यहां उनके दर्शन करने आये हैं.