बेरमो : गिरिडीह सांसद रवींद्र कुमार पांडेय ने कोल इंडिया के अध्यक्ष को पत्र लिखकर सीसीएल बेरमो कोयलांचल अंतर्गत वर्षों से बंद पड़ी डीआर एंड आरडी के अलावा पिछरी और अंगवाली माइंस को चालू करने की मांग की है.
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बंद डीआर एंड आरडी, अंगवाली और पिछरी खदान चालू करने की मांग की
बेरमो : गिरिडीह सांसद रवींद्र कुमार पांडेय ने कोल इंडिया के अध्यक्ष को पत्र लिखकर सीसीएल बेरमो कोयलांचल अंतर्गत वर्षों से बंद पड़ी डीआर एंड आरडी के अलावा पिछरी और अंगवाली माइंस को चालू करने की मांग की है. पत्र में सांसद श्री पांडेय ने कहा है कि सीसीएल बीएंडके एरिया के दामोदर नदी एवं […]
पत्र में सांसद श्री पांडेय ने कहा है कि सीसीएल बीएंडके एरिया के दामोदर नदी एवं रेलवे विपथन परियोजना (डीआर एंड आरडी) की नींव वर्ष 1985 में रखी गयी थी. इस परियोजना में अब तक करोड़ों रु खर्च हुए तथा हजारों लोगों को भूमि के बदले नियोजन एवं मुआवजा दिया गया, जबकि आजतक इस परियोजना से एक टन भी कोयला उत्पादन नहीं हो सका है. यहां तक कि इस परियोजना के अंतर्गत नियोजित कई सीसीएल कर्मी सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं.
बैठे कामगारों को काम देने की मांग : सांसद ने अपने पत्र में कहा है कि डीआर एंड आरडी परियोजना के तहत मात्र 20 फीट में लाखों टन कोकिंग कोयला उपलब्ध है. दूसरी तरफ कोयले के अभाव में उक्त प्रस्तावित परियोजना से सटी वर्षों पुरानी करगली वाशरी बंदी के कगार पर है. वर्तमान में परियोजना के समीप पुल भी बन गया है. कोयला उद्योग के हित में इस परियोजना के शीघ्र शुरू करने की जरूरत है. साथ ही
इस परियोजना का संचालन आउटसोर्सिंग के बजाय क्षेत्र में ही उपलब्ध मशीनों व अन्य संसाधनों के अलावा काम के अभाव में बैठे कामगारों से कराया जाये.
1988 में अंगवाली बंद : सांसद श्री पांडेय ने वर्ष 1973 से शुरू सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र अंतर्गत अंगवाली माइंस 15 वर्ष के बाद 1988 में उक्त परियोजना बंद कर दी गयी. परियोजना के लिए कुल 203 एकड़ भूमि अधिग्रहण किया गया था. इसके एवज में नियोजन दिया गया तथा मुआवजा का भुगतान कर दिया गया था. उक्त अधिग्रहीत भूमि में 85 एकड़ में
ही अब तक खनन हुआ है तथा शेष भूमि ज्यों की त्यों पड़ी हुई है. इसमें लाखों टन कोयला मौजूद है. कोलियरी के बंद होने का मुख्य कारण आवागमन का था, लेकिन वर्तमान में अंगवाली माइंस से सटी दामोदर नदी पर पुल भी बन गया है.
बंद पिछरी संभावना से भरी : इसी तरह सांसद ने 23 नवंबर 1971 को शुरू हुई ढोरी प्रक्षेत्र अंतर्गत पिछरी कोलियरी करीब तीस साल चलने के बाद बंद कर दी गयी. इस कोलियरी के लिए 344 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था और वर्तमान में 130 एकड़ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में है. भूमि अधिग्रहण के एवज में नौकरी व मुआवजा भी प्रदान किया गया. सीएमपीडीआइ के रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष 40 लाख टन कोयला खनन करने पर करीब 50 वर्षों तक यह माइंस चलेगी. वर्तमान स्थिति में पानी निकासी से लगभग पांच लाख टन कोयला उत्पादन किया जा सकता है.
पिछरी कोलियरी रैयत विस्थापित मोर्चा ने गिरिडीह सांसद रवींद्र कुमार पांडेय पर प्रबंधन के पक्ष में काम करने व विस्थापितों के हक छीनने की साजिश का आरोप लगाया है. जारी प्रेस बयान में कहा कि चुनाव निकट आने पर सीसीएल पिछरी कोलियरी व डीआरएंडआरडी परियोजना को चालू करने की बात सांसद करते हैं. पिछरी कोलियरी के विस्थापित छह साल से आंदोलनरत हैं, पर सांसद एक बार भी विस्थापितों से नहीं मिले. पूर्व में संचालित पिछरी कोलियरी अवैध है. प्रबंधन ने स्थानीय रैयतों की जमीन को दमन करके लिया. किसी को भी नौकरी या मुआवजा नहीं दिये गये. कहा कि यह सार्वजानिक करना चाहिए कि पिछरी कोलियरी में कितने रैयतों को नौकरी व मुआवजा मिले हैं. विस्थापित ऐसे जनप्रतिनिधि के खिलाफ आंदोलन को बाध्य होंगे. प्रेस बयान पर निर्मल चौधरी, निमाई सिंह, संजय मल्लाह, गोपाल मल्लाह, रंजीत सिंह, दिनेश सिंह, काली सिंह, करमा सिंह, जयलाल सिंह, भगत सिंह आदि के हस्ताक्षर थे.
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