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सख्ती से लागू होगा संडे की जगह स्टैगर्ड रेस्ट
बेरमो : कोल इंडिया में थर्टी डे वर्क लागू करने के लिए नवंबर 2017 में इंप्लीमेंटेशन इंस्ट्रक्शन जारी किया गया था. प्रबंधकीय सूत्रों की मानें तो कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में अगस्त 2018 के प्रथम सप्ताह से इस आदेश को सख्ती से लागू करने की संभावना है. कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई सीसीएल के […]
बेरमो : कोल इंडिया में थर्टी डे वर्क लागू करने के लिए नवंबर 2017 में इंप्लीमेंटेशन इंस्ट्रक्शन जारी किया गया था. प्रबंधकीय सूत्रों की मानें तो कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में अगस्त 2018 के प्रथम सप्ताह से इस आदेश को सख्ती से लागू करने की संभावना है. कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई सीसीएल के सभी महाप्रबंधकों ने इस बाबत पत्र निर्गत कर दिया है. साथ ही प्रबंधन ने एरिया स्तर पर एसीसी सदस्यों के साथ मीटिंग कर कंपनी हित में स्टैगर्ड रेस्ट चालू करने की बात कही है.
इस आदेश के बाद अब सभी कर्मियों का सप्ताहांत संडे नहीं होगा. प्रबंधन अपनी सुविधा के अनुसार कर्मियों के समूह के लिए सप्ताह का कोई एक दिन अवकाश तय कर देगा. माइंस एक्ट के तहत अब कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में कर्मचारियों को सप्ताह में 48 घंटे ही काम करना होगा. इसके लिए खदानों में अब 30 दिन काम होगा. प्रबंधन ने पहले ही इसके संकेत दे दिये थे.
अब प्रबंधन इसे सख्ती से लागू करने की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है. थर्टी डे वर्क के आदेश के सुचारु क्रियान्वयन की दिशा में प्रबंधन पूरी तरह से कटिबद्ध है. कोल इंडिया फिजूलखर्ची को लेकर भी काफी गंभीर है तथा धीरे-धीरे इस पर कटौती करने की कवायद तेज होती जा रही है. पहले कोल इंडिया प्रबंधन ने मजदूरों को ओवर टाइम बंद करने की घोषणा की. कोल इंडिया के निदेशक कार्मिक ने कहा कि घाटे वाली कोयला खदानें बंद की जायेगी तथा वहां के मजदूरों को अन्यत्र शिफ्ट किया जायेगा. अब कोयला उद्योग में सेवन डेज़ वर्किंग की पॉलिसी लाने की योजना पर काम हो रहा है.
रेस्ट का दिन एक ही नहीं : स्टैगर्ड रेस्ट के तहत अब कोल कर्मियों के लिए सप्ताह में अवकाश का कोई एक दिन तय कर दिया जायेगा. रेस्ट डे में अगर काम के लिए प्रबंधन बुलाता है तो कोयला कामगारों को डबल हाजिरी मिलेगी. मौजूदा समय में रविवार के दिन काम करने पर कर्मियों को डबल हाजिरी व एक दिन रेस्ट दिया जाता है.
दो हजार करोड़ रु की बचत संभव
कोल इंडिया में 2.98 लाख मजदूर कार्यरत है. इसमें करीब 1.95 लाख से दो लाख कोयला मजदूरों को संडे, ओटी आदि का लाभ मिलता था. संडे व ओटी ड्यूटी के लिए कोल कर्मियों में होड़ रहती थी. नये आदेश के लागू होने के बाद ऐसा नहीं हो पायेगा. अनुमान है कि कंपनी को इससे दो हजार करोड़ रु की बचत होगी.
खामियाजा भुगतेगा प्रबंधन : लखन लाल
इस बाबत यूसीडब्ल्यूयू के महामंत्री व जेबीसीसीआइ सदस्य लखनलाल महतो कहते हैं कि कोल इंडिया प्रबंधन स्टैगर्ड रेस्ट की व्यवस्था को गलत तरीके से परिभाषित कर रहा है. इसका खामियाजा प्रबंधन को भुगतना पड़ेगा. दूसरी ओर सभी क्षेत्रीय स्तर पर भी एसीसी सदस्यों ने प्रबंधन के इस निर्णय के खिलाफ विरोध के स्वर तेज कर दिये हैं.
30 दिन काम करा कर 26 दिन की हाजिरी देने की बात गलत
अब संडे की जगह स्टैगर्ड (बिखेर) रेस्ट दिया जा रहा है. पहले सभी कोल कर्मियों के लिए साप्ताहिक अवकाश का दिन संडे (रविवार) था. इसमें काम करने के एवज में डबल वेज मिला करता था. कोल इंडिया के नये प्रावधान के अनुसार अब सभी कोल कर्मियों के लिए साप्ताहिक अवकाश का दिन संडे नहीं होगा. प्रबंधन काम के हिसाब से मजदूरों को सप्ताह में किसी भी दिन बुला सकता है. महीने में 30 दिन काम करा कर 26 दिन की हाजिरी दिये जाने की बात गलत है.
विजय कुमार, कार्मिक प्रबंधक सीसीएल ढोरी एरिया
वीआरएस फिर लाना चाहता है प्रबंधन
बेरमो : कोयला मंत्रालय के निर्देश पर कोल इंडिया में कोल कर्मियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) देने की तैयारी अंतिम चरणों में है. प्रबंधन ने वीआरएस के लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. इसके तहत 30-32 साल तक कंपनी में सेवा करने के बाद वीआरएस लेने पर कोयला कर्मियों को एकमुश्त चार साल का अतिरिक्त वेतन मिलेगा.
कंपनी आवास भी उन्हें लीज पर आवंटित कर दिया जायेगा. विदित हो कि वर्ष 1989-90 में 1661, 1990-91 में 900, 1991-92 में 1587, 1992-93 में 6232, 1993-94 में 5455, 1994-95 में 9967, 1995-96 में 1538, 1996-97 में 1905, 1997-98 में 4912, 1998-99 में 10245, 1999-2000 में 11634, 2000-01 में 7854, 2001-02 में 10539, 2002-03 में 6573 एवं 2003-04 में 5947 कोयला कर्मियों ने वीआरएस लिया था. इसी प्रकार गोल्डेन स्पेशल वीआरएस के तहत वर्ष 1999 से 2004 तक 12,369 कोयला कर्मियों ने वीआरएस लिया था.
आश्रितों के नियोजन पर भी कटार : प्रबंधन अब अनुकंपा पर आश्रितों के नियोजन भी बंद करना चाहता है. प्रबंधन यूनियन नेताओं पर लगातार स्कीम बनाने का दबाव दे रहा है. आत्महत्या, संदेहास्पद मौत अथवा अपराध कर्म में मारे गये कर्मियों के आश्रितों को नौकरी लेने में अब परेशानी हो सकती है. सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में प्रबंधन नीति में बदलाव की तैयारी में है. खदानों में फेटल एक्सीडेंट के तहत आश्रितों को मिलने वाला नियोजन भी बंद कर तीन किश्तों में प्रबंधन आश्रित परिवार को 85 लाख रु देना चाहता है. नेताओं ने इस प्रस्ताव को एक सिरे से खारिज कर दिया है.
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