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आध्यात्मिक प्रगति के लिए सेवा अनिवार्य तत्व : आचार्य

आनंद मार्ग प्रचारक संघ का तीन दिवसीय पूर्णिमा धर्म महासम्मेलन बोकारो : आध्यात्मिक प्रगति के लिए सेवा अनिवार्य तत्व है. साधक के मन में यदि सेवा भावना नहीं है, तो लाख साधना करने के बाद भी तरक्की नसीब नहीं होगी. क्योंकि परमात्मा का आसन हृदय के अंदर-बाहर दोनों जगह है. सेवा भाव के बिना आसन […]

आनंद मार्ग प्रचारक संघ का तीन दिवसीय पूर्णिमा धर्म महासम्मेलन

बोकारो : आध्यात्मिक प्रगति के लिए सेवा अनिवार्य तत्व है. साधक के मन में यदि सेवा भावना नहीं है, तो लाख साधना करने के बाद भी तरक्की नसीब नहीं होगी. क्योंकि परमात्मा का आसन हृदय के अंदर-बाहर दोनों जगह है. सेवा भाव के बिना आसन हृदय की दिशा में सफलता नहीं पायी जा सकती है. यह बात आनंद मार्ग के पुरोधा प्रमुख सह आनंद मार्ग प्रचारक के आचार्य किंशुक रंजन सरकार ने कही. शुक्रवार को आनंद नगर (पुरुलिया) में आनंद मार्ग का तीन दिवसीय पूर्णिमा धर्म महासम्मेलन शुरू हुआ. आचार्य किंशुक साधक जीवन में सेवा के महत्व के बारे में बता रहे थे. इससे पहले प्रभात संगीत का गायन, बाबा नाम केवलम् कीर्तन व सामूहिक साधना से महासम्मेलन की शुरुआत हुई. आचार्य किंशुक ने कहा : परोपकार की महत्ता होती है.
परोपकार करने के लिए धनराशि की भी जरूरत नहीं होती है. अगर शरीर मजबूत है, तो परोपकार शरीर से करना चाहिए. अगर कुछ नहीं है, तो सद्भावना से परोपकार करें. परोपकार से ही मनुष्य महान बनता है. जहां परोपकार नहीं है, वहां सब छोटे बन जाते हैं. परोपकार से ही साधना सफल मानी जाती है. तीन दिवसीय कार्यक्रम में हर दिन आनंद मार्ग प्रचारक संघ की सांस्कृतिक शाखा रावा की ओर से प्रभात संगीत गायन व प्रभात संगीत पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत की जायेगी. धर्म महासम्मेलन में झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई समेत विभिन्न राज्य के दर्जनों प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

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