23 साल पुराने मामले में जिला जज द्वितीय ने खुले न्यायालय ने सुनायी सजा
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बड़े भाई की हत्या में छोटे भाई को आजीवन कैद
23 साल पुराने मामले में जिला जज द्वितीय ने खुले न्यायालय ने सुनायी सजा तेनुघाट : व्यवहार न्यायालय के जिला जज द्वितीय गुलाम हैदर की अदालत ने 23 साल पुराने मामले में गुरुवार को खुले न्यायालय में अभियुक्त रसिक मांझी को आजीवन कारावास की सजा सुनाया. रसिक पर अपने बड़े भाई की हत्या करने का […]
तेनुघाट : व्यवहार न्यायालय के जिला जज द्वितीय गुलाम हैदर की अदालत ने 23 साल पुराने मामले में गुरुवार को खुले न्यायालय में अभियुक्त रसिक मांझी को आजीवन कारावास की सजा सुनाया. रसिक पर अपने बड़े भाई की हत्या करने का आरोप था. ज्ञात हो कि पेटरवार प्रखंड के चलकरी निवासी जायो मंझियान ( पति स्व तिरपन मांझी) ने 26 सितंबर 1994 को पेटरवार थाना मामला दर्ज कराया था. प्राथमिकी में कहा था कि देवर रसिक मांझी व उनके पुत्र लालचंद मांझी उसके घर पहुंचे और पति तिरपन मांझी को फरसा व लाठी से मार कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया. मारपीट के बाद पति को घसीट कर नहर में ले गये और तेज धार में उन्हें बहा दिया गया.
रसिक व लालचंद मांझी ने मेरे पति की हत्या की. रसिक मांझी अपने पुत्र बिरसू मांझी की हुई बीमारी से मौत के बाद मेरे पति पर भूत लगाने का आरोप लगाते हुए उनकी हत्या कर दी. इस संबंध में पेटरवार थाना कांड संख्या 96/94, भादवि की धारा 302, 307, 325-34 के तहत दर्ज किया गया. लालचंद मांझी को घटना के वक्त नाबालिग होने के कारण न्यायालय ने उसका मुकदमा जुबेनाइल कोर्ट में भेज दिया गया. इधर, न्यायालय ने दोषी पाकर रसिक मांझी को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. सजा के बाद उसे तेनुघाट जेल भेज दिया गया.
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