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परिवार नियोजन : वर्ष 2017 में पुरुष नसबंदी के एक व महिला बंध्याकरण के 46 ऑपरेशन हुए, हर बार फेल हो जाता है पखवारा
बोकारो: परिवार नियोजन पखवारा जिले में हर बार फेल हो जाता है. निर्धारित सरकारी लक्ष्य के करीब भी विभाग नहीं पहुंच जाता है. हर बार परिवार नियोजन पखवारा 11 से 24 जुलाई तक मनाया जाता है. पूरे तामझाम के साथ जागरूकता रथ भी रवाना किया जाता है. इसके बाद रथ कहां और किसको जागरूक करती […]
बोकारो: परिवार नियोजन पखवारा जिले में हर बार फेल हो जाता है. निर्धारित सरकारी लक्ष्य के करीब भी विभाग नहीं पहुंच जाता है. हर बार परिवार नियोजन पखवारा 11 से 24 जुलाई तक मनाया जाता है. पूरे तामझाम के साथ जागरूकता रथ भी रवाना किया जाता है. इसके बाद रथ कहां और किसको जागरूक करती है. इसका पता भी नहीं चलता है. हर वर्ष मुख्यालय की ओर से परिवार नियोजन पखवारा में लक्ष्य : पुरुष नसबंदी – 125, महिला बंध्याकरण – 395 व आइयूसीडी – 400 दिया जाता है.
हर बार बढ़ जाती है पखवारा की निर्धारित तिथि: सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 में पुरुष नसबंदी शून्य व महिला बंध्याकरण 29, जबकि वर्ष 2017 में पुरुष नसबंदी एक, महिला बंध्याकरण 46 किया गया है. लक्ष्य प्राप्ति नहीं होने पर पखवारा को 24 अगस्त के बढ़ा दिया गया है. इसके बाद भी लक्ष्य तक पहुंचना मुमकिन नहीं है. हर बार पखवारा की शुरुआत ऐसे समय में होती है. जब बारिश शुरू हो जाती है. ग्रामीण महिलाएं बारिश के समय खेती में जुट जाती है. सहिया व एएनएम को महिलाओं को बंध्याकरण के लिए अस्पताल लाने में काफी परेशानी होती है. साथ ही जिले में महिला सर्जन चिकित्सकों की कमी है.
महिला चिकित्सकों की कमी है. बरसात का भी समय आ गया है. ऐसे में पखवारा का लक्ष्य हासिल करना थोड़ा मुश्किल है. पर असंभव नहीं है. सफलता के लिए जागरूकता रथ रवाना किया गया है. रथ का लाभ कितना लोगों को मिल रहा है. इसकी लगातार समीक्षा की जा रही है. सहिया बहनें व व एएनएम को भी अपनी भागीदारी सक्रियता के साथ निभाने की हिदायत दी गयी है. एमओ आइसी को भी सक्रिय रहने को कहा गया है.
डॉ एस मुर्मू, सिविल सर्जन, बोकारो.
क्या कहती हैं विभिन्न क्षेत्रों की जनप्रतिनिधि व महिलाएं
मैंने अपने क्षेत्र में कभी भी परिवार नियोजना पखवारा रथ को जागरूकता के लिए भ्रमण करते नहीं देखा है. विभाग ऐसे समय में यह अभियान चलाता है, जब धनरोपनी का समय होता है.
विनिता कुमारी, पूर्व मुखिया, कुम्हरी, चास
सरकारी नियमों की जम कर धज्जियां उडायी जा रही है. परिवार नियोजन पखवारा नाम का है. ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के बीच जागरूकता अभियान नहीं चलाया जा रहा है. रथ कहां है. यह भी पता नहीं.
पुष्पा देवी, पंसस, बाराडीह पंचायत, जरीडीह
सरकारी योजना का हाल सभी कोई जानता है. मैं जहां रहती हूं. एक भी दिन किसी भी जागरूकता रथ को घूमते नहीं देखा है. ऐसे में पखवारा को कैसे सफल किया जायेगा. यह भी एक सवाल है.
रंभा सिंह, केके सिंह कॉलोनी, चास
परिवार नियोजन पखवारा केवल नाम का पखवारा है. ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के लिए कैंप लगाया जाना चाहिए. साथ ही लाभ व हानि के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए. बाकी सब कागज पर है.
विभा कुमारी, चीरा चास
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