मनोहरपुर/किरीबुरू : बदहाल स्वास्थ्य सेवा के कारण फिर मौत, जिंदगी पर भारी पड़ गयी. सारंडा के छोटानागरा (मनोहरपुर प्रखंड) का स्वास्थ्य केंद्र बंद था, जिस कारण उचित स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलने से जन्मे जुड़वां बच्चों में से एक चल बसा. ग्वाला बस्ती के नारद गोप की पत्नी रश्मि गोप को शुक्रवार की रात प्रसव पीड़ा हुई. परिजन ने सहिया से संपर्क किया.
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तड़पती प्रसूता ने जने जुड़वां बच्चे एक की मौत, दूसरा भी गंभीर
मनोहरपुर/किरीबुरू : बदहाल स्वास्थ्य सेवा के कारण फिर मौत, जिंदगी पर भारी पड़ गयी. सारंडा के छोटानागरा (मनोहरपुर प्रखंड) का स्वास्थ्य केंद्र बंद था, जिस कारण उचित स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलने से जन्मे जुड़वां बच्चों में से एक चल बसा. ग्वाला बस्ती के नारद गोप की पत्नी रश्मि गोप को शुक्रवार की रात प्रसव पीड़ा […]
लेकिन उसने देर रात का हवाला देकर आने से मना कर दिया. स्वास्थ्य केंद्र भी बंद था. इसी बीच प्रसव पीड़ा से तड़पती रश्मि ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. इसके बाद परिजनों ने सहिया से फिर संपर्क किया, ताकि मनोहरपुर के चिकित्सक से बातकर दोनों बच्चों को मां के शरीर से अलग किया जा सके. लेकिन उन्हें नंबर उपलब्ध नहीं कराया गया.
बच्चे दो घंटे तक मां के शरीर से जुड़े रहे. बाद में गांव की महिला से नाल कटवाया गया. लेकिन इस दौरान एक बच्चे की मौत हो गयी, जबकि दूसरे की स्थिति चिंताजनक है. शनिवार सुबह महिला व उसकी बच्ची को मनोहरपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां बच्ची को एनबीएसयू में भर्ती कराया गया. यहां चिकित्सक डॉ संजीव कुमार की देखरेख में इलाज किया जा रहा है.
सारंडा के छोटानागरा में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, जिंदगी पर भारी पड़ी मौत
दो घंटे तक मां के शरीर से जुड़े रहे दोनों बच्चे, गांव की महिला ने काटा नाल
सातवें माह में बच्चे का हुआ जन्म
रश्मि ने बताया कि 18 जनवरी को उसे गर्भावस्था का सातवां माह लगा. शुक्रवार की शाम सात बजे से पेट में दर्द होने लगा. पहले प्रसव के कारण उसे समझ नहीं आया, जबकि घरवालों ने सातवां माह होने के कारण इसे सामान्य माना. रात 12 बजे के करीब प्रसव पीड़ा काफी तेज हो गयी. इसके बाद उसने एक लड़की व एक लड़के को जन्म दिया.
पीड़िता के पति नारद ने बताया, संभवत: दो घंटे तक मां के शरीर से जुड़े रहने के कारण ठंड से बच्चे की मौत हो गयी. प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तो छोटानागरा का स्वास्थ्य केंद्र बंद था. यह केंद्र शाम तक ही खुला रहता है. यहां कोई चिकित्सक नहीं हैं. यहां पदस्थापित नर्स भी मनोहरपुर से ड्यूटी करती हैं. इस कारण रात के वक्त आपातकालीन सुविधा नहीं है.
सहिया बोली-तबीयत खराब थी, इसलिए नहीं पहुंची
सहिया प्रतिमा दास ने बताया, छोटानागरा अस्पताल में हर माह गर्भवती महिलाओं के लिए होनेवाली एएनसी जांच के दौरान रश्मि नहीं आती थी. उसने महज एक बार ही अपनी एएनसी जांच करायी. बीती रात रश्मि के घर नहीं जाने व चिकित्सक का नंबर उपलब्ध नहीं कराने की बात पर उसने कहा कि रात में उसकी तबीयत ठीक नहीं थी, इस कारण वह नहीं जा सकी. रश्मि के परिजन जब आये, तो वह नंबर लाने घर के अंदर गयी थी, लेकिन तब तक वे वापस चले गये.
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