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शिव सरोज की आत्महत्या: सीसीटीवी फुटेज के आधार पर शिव सरोज को गलत साबित करने पर तुली है पुलिस

रांची : शिव सरोज ने अपहरण और जानलेवा हमले को लेकर एक अगस्त को चुटिया थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी में उसने अपहरण की घटना का समय 30 जुलाई की रात 10 बजे से लेकर 10.30 बजे के बीच बताया था. उस रात वह मोबाइल लेकर अकेले घूम रहा था. इसका सीसीटीवी फुटेज […]

रांची : शिव सरोज ने अपहरण और जानलेवा हमले को लेकर एक अगस्त को चुटिया थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी में उसने अपहरण की घटना का समय 30 जुलाई की रात 10 बजे से लेकर 10.30 बजे के बीच बताया था. उस रात वह मोबाइल लेकर अकेले घूम रहा था. इसका सीसीटीवी फुटेज पुलिस ने खोज निकाला है. सीसीटीवी फुटेज सेवा सदन के आसपास का है, जिसमें वह 30 जुलाई की रात 11.56 मिनट पर अकेले घूमते दिखाई पड़ रहा है. वह मोबाइल पर भी किसी से बात करते नजर आ नजर आ रहा है.

इसके अलावा आत्महत्या से पहले शिव सरोज कुमार ने अधिकारियों को मेल के जरिये सुसाइड नोट भेज कर सिटी डीएसपी और चुटिया थाना प्रभारी को खुद की आत्महत्या के लिए वह जिम्मेवार ठहराया था. मेल के जरिये शिव सरोज कुमार ने आरोप लगाया था कि उसके पिता सुरेश कुमार से पूछताछ के दौरान पुलिस ने उनके साथ गाली-गलौज की थी. हालांकि पूछताछ से संबंधित वीडियो फुटेज में पुलिस के द्वारा सुरेश कुमार के साथ गाली-गलौज करने से संबंधित कोई प्रमाण नहीं मिला. किसी प्रकार से मानसिक रूप से प्रताड़ित करने से संबंधित बात भी वीडियो फुटेज में नहीं है. इसकी पुष्टि सीआइडी की जांच में वीडियो के निरीक्षण के दौरान भी हो चुकी है.

पुलिस अधिकारियों के अनुसार शिव शर्मा का अपहरण हुआ था, इससे संबंधित कोई साक्ष्य नहीं है. साक्ष्य इसके विपरीत है कि वह आराम से घूम-फिर रहा था. दूसरा यह कि शिव शर्मा खुद को आइबी का अधिकारी बताता था. पुलिस मामले में सच्चाई जानना चाहती थी, इसलिए शिव सरोज कुमार और उसके पिता से पूछताछ की गयी थी. जांच में उसके आइबी अधिकारी होने की बात गलत साबित हुई. शिव सरोज कुमार के पिता सुरेश कुमार के अनुसार उनका पुत्र दो अगस्त की सुबह करीब नौ बजे होटल से लापता हो गया था. फोन लगाने पर वह फोन रिसीव नहीं कर था, लेकिन उनके पिता ने शिव शर्मा के लापता होने की जानकारी शाम में दी. चुटिया थाना में इसे लेकर पूर्व से सनहा दर्ज है. घटना की जानकारी मिलने के बाद शिव शर्मा को तलाशने के लिए सभी थाना प्रभारी को वायरलेस से सूचना दी गयी थी. शिव शर्मा के मोबाइल नंबर का लोकेशन भी निकाला गया, ताकि उसे बचाया जा सके, लेकिन उसका मोबाइल बंद होने के कारण उसका लोकेशन नहीं मिला.

सरकार जल्दबाजी में न ले कोई निर्णय: एसोसिएशन
रांची. सिटी डीएसपी को दोषी मान कर कार्रवाई किये जाने के विरोध में रविवार को झारखंड पुलिस सर्विस एसोसिएशन (डीएसपी एसोसिएशन) की बैठक हुई. झारखंड पुलिस एसोसिएशन परिसर में डीएसपी एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष ट्रैफिक डीएसपी राधा प्रेम किशोर की अध्यक्षता में बैठक की गयी.

इस दौरान एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि सरकार जल्दबाजी में कोई कार्रवाई का फैसला नहीं ले. सरकार जांच पूरी होने के बाद कोई निर्णय ले. शव सरोज ने आत्महत्या पुलिस की प्रताड़ना की वजह से तंग आकर नहीं की है. उसके झूठ की पोल पिता के सामने खुलने से उसे आत्म ग्लानि हुई, इसी वजह से उसने आत्महत्या कर ली. इस बात की पुष्टि जांच टीम को मिले सभी सबूत से होती है. सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि अधिकारी अपनी जिम्मेवारी भलीभांति निभा रहे हैं. इसके बावजूद विशेष परिस्थितियों में कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों को मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ रहा है. एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने सरकार से मिल कर सारे मामले से उसे अवगत कराने का निर्णय लिया है.
अधिकारियों पर की गयी कार्रवाई पर उठाये सवाल
रांची. झारखंड पुुलिस एसोसिएशन की रांची शाखा के सदस्यों ने शिव सरोज कुमार आत्महत्या मामले में बैठक की. इस दौरान बिना जांच के पुलिस अधिकारियों पर की गयी कार्रवाई पर सवाल उठाया गया. सदस्यों ने कहा कि बिना जांच किये आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करना उचित नहीं है़ सीआइडी के अपर पुलिस महानिदेशक ने जो जांच प्रतिवेदन समर्पित किया गया है, उसमें शिव सरोज कुमार को पुलिस द्वारा प्रताड़ित करने का कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है़ सदस्यों ने मामले में इन बिंदुओं पर वरीय पुलिस अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराने का निर्णय लिया है़
अर्जुन सिंह को नहीं बनाया गवाह : एसएसपी
रांची. शिव सरोज की मौत के मामले में पुलिस ने खुद को बचाने के लिए किसी अपराधी अर्जुन सिंह को गवाह नहीं बनाया है. यह जानकारी रविवार को आधिकारिक रूप से रांची एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने दी. एसएसपी ने बताया कि केस में पुलिस ने अर्जुन सिंह का बयान रिकॉर्ड नहीं किया और न ही गवाह के रूप में केस के रिकॉर्ड में उसके नाम का कहीं उल्लेख है. अर्जुन सिंह अगर पूर्व में अपराधी रहा भी था, तो वर्तमान में वह न किसी केस में वांटेड और न ही पुलिस की नजर में फरार है. एसएसपी ने बताया कि शिव सरोज को बड़ा तालाब के किनारे से पुलिस ने उठा कर इलाज के लिए अस्पताल में भरती कराया था. इसलिए इस बिंदु पर जानकारी एकत्र की जा रही थी कि पहले शिव सरोज को किसने देखा था. शिव सरोज को दो युवकों ने सबसे पहले देखा, जो पास में काम करते हैं. दोनों युवकों का कोई अापराधिक रिकॉर्ड नहीं है. दोनों युवकों के जरिये शिव सरोज के बारे में अर्जुन सिंह को जानकारी मिली थी. दोनों युवक भी पुलिस के सामने शिव सरोज को देखे जाने की बात बताने के लिए खुद उपस्थित हुए थे. जब पुलिस बड़ा तालाब के समीप पहुंची थी, तब वहां अर्जुन सिंह आया था. ऐसी स्थित में उसको गवाह बनाये जाने की बात बेबुनियाद है.
धनबाद में पीड़ित परिवार से मिले सांसद
सांसद पीएन सिंह भूली स्थित पीड़ित परिवार से मिले. इस दौरान उन्होंने शिव के पिता सुरेश कुमार से घटना के बाबत पूरी जानकारी ली. सुरेश ने आधी-अधूरी जांच की बात सांसद को बतायी. उन्होंने कहा कि जांच से वह संतुष्ट नहीं हैं. मामले की निष्पक्ष जांच हो. घटना पर सांसद ने दुख जताया और कहा कि सरकार मामले में कार्रवाई कर रही है.
वाराणसी में बेटे की अंत्येष्टि कर भूली लौटे सुरेश, कहापूरे मामले का केंद्र बिंदु होटल है, वहां से असली बात का चल पायेगा पता
रांची के चुटिया थाना में पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगा कर फांसी लगानेवाले शिव सरोज कुमार उर्फ सोनू के धनबाद के भूली स्थित घर पर मातम पसरा हुआ है. पिता सुरेश कुमार बेटे का अंतिम संस्कार कर वाराणसी से धनबाद अपने घर पहुंचे. शिव की आत्महत्या मामले में आरोपी पुलिस पदाधिकारियों को क्लीन चिट देने की कोशिश पर शिव के पिता व परिजन काफी आहत हैं. उन्होंने पुलिस से तीन सवाल किये हैं और कहा है कि पुलिस को इसका जवाब देना चाहिए.

पुलिस जांच के नाम पर खानापूरी कर रही है, अधूरी जांच की गयी है. इस पूरे मामले का केंद्र बिंदु होटल है. वहां से सबकुछ पता चल जायेगा. ऊपर लेबल पर मामले पर लीपापोती हो रही है. असल में जांच होटल से करनी चाहिए, जहां से यह वाकया शुरू हुआ है. उन्होंने कहा कि हमने कुल का चिराग खोया है. न्याय नहीं मिला, तो चुप नहीं बैठेंगे. क्रिया कर्म के बाद न्याय की मांग करेंगे. हम जांच से संबंधित तमाम प्रश्न उठायेंगे.
पिता ने पुलिस से किये तीन सवाल
सवाल नंबर : एक
जिस रात होटल में ठहरा था शिव, तब क्या हुआ था?
शिव के पिता ने पुलिस से पूछा कि जांच थाने से शुरू की गयी. इस आधार पर पुलिस को निर्दोष करार दिया गया था, लेकिन उस रात आखिर होटल में क्या हुआ था. शराब पीकर कुछ लोग हल्ला कर रहे थे, होटल संचालक की भूमिका इसमें क्या थी. इस पर पुलिस ने कुछ नहीं बताया है. इस पूरे केस की जांच का बिंदु थाना नहीं, होटल होना चाहिए था.
सवाल नंबर : दो
होटल वाले से मिलने के बाद पुलिस क्यों बदली ?
शुरुआत में पुलिस हमसे अच्छा बर्ताव कर रही थी, इस बीच होटल मालिक को बुलाया गया. होटल मालिक के साथ पुलिस की कुछ देर बातचीत हुई. पता नहीं इस दौरान क्या सांठगांठ हुई, इसके बाद पुलिस का चेहरा अचानक से बदल गया. हमें प्रताड़ित किया जाने लगा. इसके पहले पुलिस हम लोगों के साथ अच्छे से पेश आ रही थी.
सवाल नंबर : तीन
हमें थाने में बैठा कर, होटलवाले को क्यों छोड़ा ?
जब शिकायत लेकर थाना गये थे, तो हम बाप-बेटे को पुलिस ने थाना में बैठा कर रख लिया. होटल वाले की शिकायत की गयी, लेकिन कुछ देर बाद उसे बुला कर छोड़ दिया गया. न्याय के लिए हमलोग थाना गये थे, लेकिन हम लोगों पर अन्याय हुआ. सब मैनेज किया गया था.

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