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Ghatshila By Election 2025: घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में इस बार बीजेपी के बाबूलाल सोरेन और जेएमएम के सोमेश सोरेन चुनावी मैदान में हैं. दोनों ही नेता झारखंड की राजनीति में बहुत बड़ा कद नहीं हैं, लेकिन दोनों के सिर पर उनके पिता का हाथ है, जो झारखंड के दिग्गज नेता रहे हैं. आइए समझते हैं, घाटशिला में इस बार कैसी होती उपचुनाव की जंग.
सोमेश सोरेन और बाबूलाल सोरेन कौन हैं?
सोमेश सोरेन और बाबूलाल सोरेन झारखंड की राजनीति में नए खिलाड़ी हैं. दोनों का संबंध झारखंड के दिग्गज नेताओं के परिवार से है. घाटशिला के पूर्व विधायक और मंत्री रामदास सोरेन के बेटे हैं सोमेश सोरेन, जो जेएमएम के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने कोल्हाण टाइगर चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को चुनाव मैदान में उतारा है. सोमेश सोरेन को टिकट दिए जाने पर वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिन्हा बताते हैं कि जेएमएम की यह परंपरा रही है कि अगर किसी विधायक या मंत्री की कार्यकाल के दौरान मौत हो जाती है, तो परिवार को सम्मान देने के लिए नेता की पत्नी, पुत्र, पुत्री या किसी अन्य रिश्तेदार को जो समर्थ हो टिकट दिया जाता है. रामदास सोरेन के निधन के बाद उनकी पत्नी के नाम पर खूब चर्चा भी हुई, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उन्हें टिकट नहीं दिया गया. चुनाव के दौरान जितने दौरे करने पड़ते हैं, वो उनके लिए संभव नहीं था. उसके बाद रामदास सोरेन के भतीजे और बेटे पर चर्चा हुई और अंतत: उनके बेटे सोमेश सोरेन पर सहमति बनी. सोमेश सोरेन को उनके परिवार से भी सहमति मिली है. सोमेश सोरेन इस उपचुनाव से अपने राजनीतिक की शुरुआत कर रहे हैं, जबकि बाबूलाल सोरेन पिछले विधानसभा चुनाव में भी यहां से चुनावी मैदान में थे.
घाटशिला में किसका पलड़ा है भारी?
घाटशिला विधानसभा क्षेत्र एक एसटी रिजर्व सीट है. इस सीट पर कौन सी पार्टी ज्यादा मजबूत है, यह समझने के लिए इतिहास में झांकना होगा. घाटशिला विधानसभा सीट पूर्वी सिंहभूम जिले में पड़ता है. यहां आदिवासी वोटर्स का वर्चस्व है, खासकर संताल आदिवासियों का. घाटशिला सीट पर जेएमएम और कांग्रेस का वर्चस्व रहा है और मात्र एक बार 2014 में लक्ष्मण टुडू यहां से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते हैं. यह आंकड़ा 2000 से 2024 के बीच का है. इस चुनाव में जेएमएम और कांग्रेस साथ-साथ हैं, इस लिहाज से बीजेपी के लिए यहां चुनाव जीतना बहुत कठिन होने वाला है.
ऐसे में यह सवाल उठ सकता है कि जब बीजेपी यहां कमजोर है, तो फिर बाबूलाल सोरेन को दोबारा क्यों टिकट दिया गया है. इस बारे में अनुज सिन्हा बताते हैं कि बाबूलाल सोरेन पर बीजेपी ने भरोसा इसलिए दिखाया है क्योंकि वे चंपई सोरेन के बेटे हैं. चंपई सोरेन का इस इलाके में बहुत प्रभाव है. इसके साथ ही एक बात यह भी है कि पिछले चुनाव में जब चंपई सोरेन बीजेपी के साथ आए थे, तो पार्टी को ऐसा लगा था कि उन्हें काफी फायदा होगा, लेकिन वैसा कुछ हुआ नहीं. इसी वजह से बीजेपी चंपई सोरेन को एक और मौका देना चाहती है और बाबूलाल सोरेन को टिकट दिया गया है. 2024 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल सोरेन, रामदास सोरेन से चुनाव हार गए थे.
जयराम महतो की पार्टी अगर चुनाव में उतरी, तो क्या होगा?
2024 के विधानसभा चुनाव में जयराम महतो एक फायरब्रांड नेता के रूप में सामने आए और उनकी पार्टी जेएलकेएम कुड़मी युवाओं के बीच बहुत चर्चित भी रही. हालांकि 68 सीट में चुनाव जीतकर जयराम महतो की पार्टी ने सिर्फ एक सीट जीता, लेकिन उनकी छवि एक फायरब्रांड नेता की बन गई, जो युवाओं में खासा चर्चित है. अनुज सिन्हा बताते हैं कि जयराम महतो की पार्टी अगर घाटशिला में अपना उम्मीदवार देती है, तो उसे किसी आदिवासी को अपना उम्मीदवार बनाना होगा क्योंकि यह एसटी रिजर्व सीट है. अब यहां गौर करने वाली बात यह है कि कुड़मी को एसटी सूची में शामिल करने को लेकर अगर कुड़मी एकजुट हैं, तो आदिवासी भी एकजुट हैं. इस वजह से जयराम महतो की पार्टी कुछ खास यहां कर पाएगी इसकी संभावना कम ही है.
क्या घाटशिला विधानसभा क्षेत्र रिजर्व सीट है?
हां, घाटशिला एसटी रिजर्व सीट है.
क्या घाटशिला से बीजेपी कभी चुनाव जीती है?
हां 2014 में बीजेपी के लक्ष्मण टुडू यहां से चुनाव जीते हैं.
रामदास सोरेन का निधन कब हुआ था?
रामदास सोरेन का निधन 15 अगस्त 2025 को हुआ था.
क्या सोमेश सोरेन कभी चुनाव जीते हैं?
नहीं सोमेश सोरेन घाटशिला सीट से डेब्यू करेंगे.
बाबूलाल सोरेन पिछले चुनाव में किससे हारे थे?
बाबूलाल सोरेन पिछले चुनाव में जेएमएम के नेता रामदास सोरेन से चुनाव हार गए थे.

