Bihar: बिहार राज्य का समस्तीपुर जिला न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक, प्रशासनिक और धार्मिक दृष्टि से भी राज्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यहां पर पूर्व मध्य रेलवे का हेड ऑफिस भी है. अपने आप में इतिहास को समेटे इस शहर के बारे में ऐसी बहुता सारी बातें हैं जो लोग नहीं जानते हैं. ऐसे में अगर आप बिहार राज्य से संबंधित किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि समस्तीपुर जिला कब और कैसे अस्तित्व में आया और इसका पुराना नाम क्या है?
जिले को क्यों कहते हैं मिथिला का ‘प्रवेशद्वार’
समस्तीपुर जिला बिहार के उन गिने-चुने जिलों में से एक है, जिसका गठन आजादी के बाद हुआ और उसकी अपनी विशिष्ट पहचान बनी. बिहार सरकार की तरफ से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, इस जिले का गठन 14 नवंबर 1972 को हुआ था. इससे पहले यह क्षेत्र दरभंगा जिले का हिस्सा हुआ करता था. बिहार सरकार ने प्रशासनिक सुविधा और क्षेत्रीय विकास को ध्यान में रखते हुए इसे दरभंगा से अलग कर नया जिला बनाया था. इसका मुख्यालय समस्तीपुर नगर को बनाया गया. समस्तीपुर को मिथिला का ‘प्रवेशद्वार’ भी कहा जाता है.

क्या है जिले का पुराना नाम?
समस्तीपुर का परंपरागत नाम सरैसा है. इसका वर्तमान नाम मध्यकाल में बंगाल एवं उत्तरी बिहार के शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास के नाम पर पड़ा है. कुछ लोगों का मानना है कि इसका प्राचीन नाम सोमवती था जो बदलकर सोमवस्तीपुर फिर समवस्तीपुर और आखिर में समस्तीपुर हो गया. यहां बोल-चाल के लिए मैथिली, मगही भाषा का इस्तेमाल किया जाता है.
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इन जिलों से लगती है समस्तीपुर की सीमाएं
समस्तीपुर जिला उत्तर बिहार के मध्यवर्ती भाग में स्थित है. इसके उत्तर में दरभंगा, दक्षिण में गंगा नदी और पटना जिला, पश्चिम में मुजफ्फरपुर और वैशाली और पूर्व में बेगूसराय और खगड़िया जिले की सीमाएं लगती हैं. यह भौगोलिक स्थिति इसे कृषि, व्यापार और प्रशासनिक दृष्टिकोण से एक अहम जिला बनाती है. यहां की मुख्य भाषा हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी है, जो शैक्षणिक और सरकारी कामकाज में इस्तेमाल होती हैं. (यह खबर हमारे साथी मयंक उपाध्याय ने लिखी है)