Bihar News: खेतों में फसल अवशेष (पुआल) जलाने के कई दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं. हवा अशुद्ध होने लगी है. पर्यावरण दूषित हो रहा है. इसे देखते हुए सरकार ने कई कड़े निर्णय लिये हैं. कैमूर, रोहतास, बक्सर, भोजपुर, नालंदा और औरंगाबाद जिले में सबसे अधिक फसल अवशेष जलाने की घटनाएं हो रही हैं.
फसल अवशेष जलाने पर सख्ती
इन जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) मापने के लिए यंत्र लगेंगे. विकास आयुक्त ने इन जिलों में शीघ्र एक्यूआइ यंत्र लगाने का बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को निर्देश दिया है. साथ ही फसल अवशेष जलाने को लेकर किसान सलाहकारों को जवाबदेह बनाने का निर्देश दिया है. फसल अवशेष जलने पर संबंधित प्रखंड के किसान सलाहकार के खिलाफ भी कार्रवाई होगी. खेतों में पुआल जलाने वाले किसानों से धान व गेहूं की खरीद नहीं करने का सहकारिता विभाग को निर्देश दिया गया है. ऐसे किसानों को अन्य योजनाओं से भी वंचित किया जायेगा.
एनटीपीसी की चौसा, बाढ़ और नवीनगर इकाइयों के पास ब्रिकेट उत्तपादन इकाई खुलेगी
कैमूर, रोहतास, बक्सर, भोजपुर, नालंदा और औरंगाबाद में सबसे अधिक फसल अवशेष जलाये जा रहे हैं. इन जिलों के जिन प्रखंडों में फसल अवशेष जलाये जा रहे हैं, उन प्रखंडों में फसल अवशेष से निर्मित ब्रिकेट बनाने के लिए कम से कम एक उत्पादन इकाई स्थापित की जायेगी. एनटीपीसी की चौसा, बाढ़ और नवीनगर इकाइयों के आसपास के जिलों में ब्रिकेट उत्पादक इकाइयों के साथ संबद्ध किया जायेगा. एनटीपीसी के आवश्यकतानुसार ब्रिकेट की स्थापना होगी. एनटीपीसी में पांच फीसदी पुआल से बने ब्रिकेट का उपयोग सुनिश्चित किया जायेगा.
पुआल जलाने वाले किसानों पर होगी प्राथमिकी
फसल जलाने वाले किसानों के खिलाफ प्राथमिकी होगी. ऐसे किसानों के खिलाफ धारा 152 के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है. राइस मिलों में भी फसल अवशेष से निर्मित ब्रिकेट आधारित बॉयलर की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. कॉम्फेड की इकाइयों में भी पुआल से निर्मित ब्रिकेट बनाने के लिए यूनिट की स्थापना होगी.
गोबर के उपले की तरह ही होता है ब्रिकेट
पुआल को मशीन से दबाकर उपले की तरह बनाया जाता है. ये एक तरह से गोबर के उपले की तरह ही होता है. ब्रिकेट आसानी से जल जाता है. इससे धुआं कम होता है. कोयले से सस्ता और पर्यावरण के लिए बेहतर माना जाता है. भट्ठों और बॉयलर में इसका प्रयोग होता है.

