– पर्व और त्योहारों की समृद्ध परम्परा का दूसरा नाम है भारतीय संस्कृति प्रतापगंज. भारतीय संस्कृति पर्व और त्योहारों की समृद्ध परंपरा का दूसरा नाम है. इसी समृद्ध परंपरा में जैन परंपरा का आठ दिनों तक चलने वाला ऐतिहासिक महापर्व पर्युषण बुधवार से महिला मंडल की सदस्यों द्वारा स्वाध्यय दिवस के रूप में प्रारंभ किया. पर्युषण के प्रथम दिन महिला मंड़ल की वरीय सदस्या झंकार देवी घोडावत के निवास पर एकत्रित हो सामायिक, स्वाध्यय और जैन भजनों के साथ महापर्व की शुरुआत की. पर्व की विशेषता का उल्लेख करते हुए झंकार देवी ने कहा कि पर्युषण जैन परंपरा का महान पर्व है. पर्युषण का शाब्दिक अर्थ उष्णता का परित्याग करना है. इस साधना के माध्यम से व्यक्ति आधि, व्याधि और उपाधि से परे होकर समाधि तक पहुंच सकता है. पर्युषण पर्व जैन परंपरा के अनुसार अहम् शुद्धि व उत्थान का पर्व है. जिससे चिंतन के बाद प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से आपसी मनमटुवा को दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अहिंसा के प्रतिपादक भगवान महावीर के सिद्धांतों के अनुसार क्षमा व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाय तो सम्पूर्ण जीवन विवादों से परे हो जायेगा. यही अहिंसा का मूलमंत्र है. उन्होंने बताया कि पर्युषण पर्व के आठ दिनों में धर्म संघ के आचार्यों और उपासकों द्वारा दिये जाने वाले उपदेशों से समाज को जागृत किया जाता है. इन उपदेशों में भगवान महावीर के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया जाता है. निराहार तपस्याओं से शरीर की शुद्धि और प्रवचनों एंव स्वाध्याय के माध्यम से मन की शुद्धि के प्रयोग होते हैं. उन्होंने बताया कि पर्युषण के अंतिम आठवें दिन जैन परंपरा अनुसार जैनधर्मावलम्बी भाई बहन बच्चे संवत्सरी के रूप में मनाते हैं. जिसमें सभी 24 घंटे का निराहार उपवास का तप कर दूसरे दिन पारण उपरांत एक दूसरे से कहे गये या लिखे गये कटु वचनों के लिए क्षमायाचना करते हैं. इस मौक पर सरोज छाजेड़, प्रभा वैद, पदमा नौलखा, संजू छाजेड़, वंदना सेठिया, अंजू छाजेड़, किरण घोडावत, लक्ष्मी गंग,पींकी छाजेड़ और कीर्ति गोठी उपस्थित थे.
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