फॉलोअप सुपौल/वीरपुर. सीमावर्ती भीमनगर कस्टम कार्यालय से जुड़े बहुचर्चित फर्जी निर्यात और जीएसटी रिफंड घोटाले में सीबीआइ की टीम ने सोमवार को वीरपुर पहुंचकर जांच तेज कर दी. बताया जाता है कि फर्जी निर्यातकों द्वारा करीब 4,161 ई-वे बिल बनाए गए, इनमें से लगभग 1,836 शिपिंग बिल भीमनगर व जयनगर एलसीएस से दाखिल किए गए थे. इस घोटाले में करीब 100 करोड़ के फर्जी जीएसटी रिफंड दावे और लगभग 800 करोड़ के काल्पनिक निर्यात दिखाए जाने की बात सामने आयी है. विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, तत्कालीन सीमा शुल्क अधिकारी पर आरोप है कि उन्होंने कई निजी निर्यातक फर्मों और एजेंटों के साथ मिलकर नकली निर्यात को मंजूरी दी. इसके तहत मेसर्स रॉयल इम्पेक्स, तिरुपति एंटरप्राइजेज, एमजे इंटरनेशनल, विधुर एंटरप्राइजेज, प्रसाद एंटरप्राइजेज, यूनिक इंटरनेशनल, खान ट्रेडर्स समेत कई कंपनियों के नाम सामने आए हैं. जांच में पता चला कि 10 लाख रुपये से कम मूल्य के नकली बिल (जैसे 9.5 लाख, 9.8 लाख) बनाए गए ताकि अधीक्षक स्तर पर ही मंजूरी मिल सके. इन बिलों में टाइल्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स का नेपाल को निर्यात दिखाया गया और 18 प्रतिशत व 28 प्रतिशत जीएसटी दरों पर कर रिफंड लिया गया. डीआरआई रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर फर्जी फर्मों ने 2023 में निर्यात दावों से ठीक पहले ही आइईसी कोड हासिल किया था और इनके पते पर कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं पायी गयी. ई-वे बिलों में लगभग 583 वाहनों के नंबर दर्ज थे, जिनमें कई दोपहिया, बस, एम्बुलेंस और कारें थीं, जो नेपाल सीमा पार करने वाले एसएसबी के आंकड़ों से मेल नहीं खाती. सीबीआइ ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 07, 08, 12 और 13(2) के तहत मामला दर्ज किया है. जांच का जिम्मा पुलिस उपाधीक्षक विभा कुमारी को सौंपा गया है. सीतामढ़ी का है मुख्य एजेंट गंगा सिंह सूत्रों के अनुसार, मुख्य एजेंट गंगा सिंह सीतामढ़ी निवासी हैं और नेपाल में विवाह किया है. तरुण कुमार सिन्हा के कार्यकाल में बनाये गये ‘सेटअप’ में गंगा सिंह के अलावा उनके भाई विकास को भी निजी तौर पर डेटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में नियुक्त किया गया था, जो फिलहाल फरार है. सीबीआइ टीम पिछले दो दिनों से कस्टम दफ्तर के अभिलेख और गतिविधियां खंगाल रही है. सूत्र बताते हैं कि गंगा सिंह जोगबनी में रह रहे हैं, जबकि उनका भाई विकास फिलहाल फरार है.
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