आक्रोश. शहर की सभी दुकानें बंद, जगह-जगह टायर जला कर किया िवरोध प्रदर्शन
व्यवसायी सुभाष सिंह की हत्या के बाद भाजपा कार्यकर्ता काफी आक्रोशित दिखे और इसे जंगलराज का द्योतक तक बताया. कार्यकर्ताओं ने शहर के महावीर चौक, स्टेशन चौक व लोहिया नगर चौक पर टायर फूंके. महावीर चौक पर सड़क जाम कर प्रदर्शन किया गया.
सुपौल : दिन-दहाड़े शहर के हटिया परिसर में व्यवसायी सुभाष सिंह की हत्या के बाद भाजपा कार्यकर्ता काफी आक्रोशित दिखे और इसे जंगलराज का द्योतक तक बताया. कार्यकर्ताओं ने शहर के महावीर चौक, स्टेशन चौक व लोहिया नगर चौक पर टायर फूंके. महावीर चौक पर सड़क जाम कर प्रदर्शन किया गया. वही शहर में मृतक के शव के साथ मार्च निकाला गया. विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना कर रहे थे. शव जुलूस के दौरान आम दुकानदार व व्यवसायियों से भी बाजार बंद रखने में सहयोग की अपील की गयी. खास बात यह रही कि बंद को व्यवसायियों का भरपूर साथ मिला.
हालांकि कुछ व्यवसायी अपनी दुकान खोले हुए थे, जिसे कार्यकर्ताओं सहित जुलूस में शामिल व्यवसायियों की अपील पर बंद कर दिया गया. करीब एक घंटे के बाद बाजार में कुछ दुकानें एक बार फिर खुली, लेकिन स्थिति सामान्य नहीं थी. चारों ओर व्यवसायी की सरेआम हत्या की खबर ही चर्चा का विषय बनी हुई थी.
… जब युगल को भी झेलनी पड़ी फजीहत : सदर अस्पताल में मृतक सुभाष सिंह का पोस्टमार्टम हो चुका था और पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना प्रभारी एसपी सह सदर एसडीपीओ को फोन पर तीन घंटे में कार्रवाई नहीं होने पर आरोपित का घर तोड़ गिराने का अल्टीमेटम दे चुके थे. पोस्टमार्टम होते ही कार्यकर्ताओं ने शव को अपने जिम्मे लिया और ठेला पर रख कर महावीर चौक की ओर निकल पड़े. इस बीच मेला समिति सचिव युगल किशोर अग्रवाल भी सदर अस्पताल पहुंचे. पूर्व विधायक द्वारा सड़क जाम और विरोध-प्रदर्शन की घोषणा का उन्होंने विरोध किया. बोलने के क्रम में ही उन्होंने कहा ‘मुन्ना जी सहरसा से शहर को जलाने आये हैं क्या ! ऐसे मौके पर सब्र और शांति से काम लेना चाहिए. लेकिन राजनीति के लिए सड़क जाम करवा रहे हैं.
घटना हो गयी तो पुलिस क्या करेगी!’. फिर कहा ‘पुलिस का काम है गिरफ्तारी करना और आप जाम करेंगे तो पुलिस आपको देखेगी या आरोपित को गिरफ्तार करेगी’. हालांकि तब तक पूर्व विधायक आगे निकल चुके थे. कुछ वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे थे. इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह बहस में कूद पड़े और श्री अग्रवाल को आड़े हाथों ले लिया. उन्होंने सीधा तंज कसते हुए कहा ‘युगल बाबू ये सब फालतू बात है. शहर में इतनी बड़ी घटना हो गयी और आप विरोध नहीं करने की बात कर रहे हैं. आप ही बताइये, आपके परिवार के किसी सदस्य के साथ ऐसा होता तो क्या करते. क्या आप विरोध-प्रदर्शन नहीं करते हैं ! ’. बहस कुछ देर और चली. फिर सभी लोग महावीर चौक की ओर बढ़ गये.
एसडीएम से वार्ता रही विफल : महावीर चौक पर पहुंचते ही भाजपा कार्यकर्ता सहित स्थानीय कई व्यवसायियों ने सड़क जाम कर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया. करीब आधे घंटे तक विरोध प्रदर्शन के उपरांत सदर एसडीएम एनजी सिद्दीकी दिन में पहली बार नजर आये. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को समझाने-बुझाने का प्रयास किया. लेकिन वार्ता विफल रही. दरअसल भाजपा कार्यकर्ताओं का मूल विरोध भी इसी बात को लेकर था कि शहर में इतनी बड़ी घटना को ढाई घंटे से अधिक समय बीत चुका था, लेकिन थानाध्यक्ष से ऊपर स्तर का कोई भी अधिकारी घटना की जानकारी लेने सदर अस्पताल नहीं पहुंचा था.
लिहाजा कार्यकर्ता व व्यवसायियों का आरोप था कि प्रशासन पूरे प्रकरण में संजीदा नहीं है. पूर्व विधायक श्री मुन्ना ने हत्यारोपी की गिरफ्तारी तक प्रशासन की कोई भी बात मानने से इनकार कर दिया. साथ ही मृतक के परिजनों के लिए मुआवजा की मांग रखी. मौके पर विधान पार्षद प्रतिनिधि विनय भूषण सिंह, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शंकर चौधरी, संतोष प्रधान, भाजयुमो जिलाध्यक्ष गिरीशचंद्र ठाकुर, किसान मोरचा जिलाध्यक्ष सरोज कुमार झा, अशोक पासवान, संतोष यादव, मनोज सिंह, संतोष सिंह आदि मौजूद थे.
थानाध्यक्ष को झेलना पड़ा लोगों का आक्रोश : हत्याकांड को लेकर शहरवासियों में काफी रोष व्याप्त है और लोगों के आक्रोश का सामना खुद सदर थानाध्यक्ष राजेश्वर सिंह को भी करना पड़ा. दरअसल महावीर चौक पर प्रदर्शन के दौरान लोगों नारेबाजी कर रहे थे. सदर अस्पताल के मुख्य द्वार के समीप काफी संख्या में पुलिस बल मौजूद था. जिसमें सैप के जवान भी शामिल थे. अचानक कुछ लोगों ने थानाध्यक्ष लोगों की भीड़ में आ गये. तभी कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया और उनके विरुद्ध ही नारेबाजी करने लगे.
… इसी वजह से तो नहीं हुई सुभाष की हत्या
फर्नीचर कारोबारी सुभाष सिंह की हत्या की वजह का यूं तो साफ तौर पर खुलासा नहीं हो सका है. लेकिन चर्चा इस बात की भी है कि आफताब ने किसी बैंक से ऋण लिया था और उसकी किस्त का भुगतान नहीं कर रहा था. ऋण लेने वक्त सुभाष उसके पहचानकर्ता बने थे. यही वजह थी कि सोमवार को जब आफताब संतोष की दुकान पहुंचा, उन्होंने आफताब से ऋण का किस्त भुगतान करने का अनुरोध किया. सुभाष का तर्क था कि अगर आफताब ऋण का भुगतान नहीं करता है, तो बैंक सुभाष के विरुद्ध भी कार्रवाई कर सकती है.
सुहाग उजड़ने से बेसुध है रानी
सुभाष के साथ उसकी पत्नी रानी देवी व साथ रह रहे दोनों बच्चों को भी हटवरिया भेज दिया गया है. लेकिन पत्नी रानी अपना सुहाग उजड़ने से बेसुध है. वह बार-बार रोती-बिलखती है और बेहोश होती है. लोग संभालते हैं तो होश में आती है और यह बेहोश होने का सिलसिला लगातार जारी है. वह विलाप में बार-बार बच्चों के पालन-पोषण की चिंता तो जाहिर करती ही है, अकेला जीवन कैसे कटेगा, इसका जिक्र भी बार-बार होता है. कोमल मां को संभाले तो कैसे, इसका उसे जरा भी अंदाजा नहीं है.
वही युवराज को तो पता तक नहीं है कि आखिर सब इतना क्यों रो और बिलख रहे हैं. छोटी बेटी सिट्टू को भी परिजनों ने वापस बुला लिया है. बताया जा रहा है कि वह रिश्तेदारों के साथ राज्यरानी एक्सप्रेस से बेगूसराय से रवाना हो चुकी है. उसके आने के उपरांत ही शव का अंतिम संस्कार किया जायेगा.
