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एसएसबी कैंप के लिए उजाड़े गये घर

बुधवार को अतिक्रमण हटाओ अभियान ने कुछ ही घंटों में कई परिवारों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया. लोगों के घर चूल्हे तक नहीं जले. करजाइन : सुबह के आठ बजे उजड़ा पड़ा घर, यत्र-तत्र बिखरे मलबे और आंसुओं में भीगे चेहरे ही नजर आ रहा था. सुबह होते ही जहां बच्चों की खिलखिलाहट, […]

बुधवार को अतिक्रमण हटाओ अभियान ने कुछ ही घंटों में कई परिवारों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया. लोगों के घर चूल्हे तक नहीं जले.

करजाइन : सुबह के आठ बजे उजड़ा पड़ा घर, यत्र-तत्र बिखरे मलबे और आंसुओं में भीगे चेहरे ही नजर आ रहा था. सुबह होते ही जहां बच्चों की खिलखिलाहट, जवानों की मस्ती व बुजुर्गों की चहल कदमी दिखाई पड़ रही थी आज उक्त स्थल पर सिर्फ सन्नाटा ही पसरा है. यह नजारा शुक्रवार को राघोपुर प्रखंड के बसावनपट्टी पुनर्वास का है यहां के करीब दस परिवारों के सिर छिपाने के लिए अब न छत है और न ही इनके चूल्हे में आग. मालूम हो कि बुधवार को अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत चलाये गये प्रशासन की जेसीबी ने कुछ ही घंटों में इन परिवारों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया. लेकिन छोटे-छोटे बच्चे व बुजुर्गों के साथ अब ये विस्थापित परिवार दो दिनों से खुले आसमान के नीचे जिंदगी जीने को विवश है.

पीड़ित परिवारों के शिव नारायण मंडल, अशर्फी शर्मा, दुखा पासवान, तरुणचंद चेल, महादेव चेल, सुखदेव सुतिहार, यशोदा देवी, मसोमात सतनी, बुदनी देवी व सतनी देवी ने बताया कि कोसी विभीषिका की क्रूर लीला ने हम लोगों से जमीन-जायदाद व समाज सब कुछ लिया.

इसके बाद सरकारी आदेशानुसार विभाग ने सन 1958 में कई विस्थापित गांवों के लोगों के लिए राघोपुर प्रखंड के बसावनपट्टी गांव में कोसी पीड़ितों के लिये पुनर्वास की व्यवस्था करवाया. साथ ही विभाग द्वारा पीड़ितों को जमीन उपलब्ध करवा कर पुनर्वासित कराया. लेकिन बिहार सरकार ने कोसी पुनर्वास बसावनपट्टी में आवंटित इस बास की जमीन में से ढाई एकड़ भूमि एसएसबी 45 बटालियन ढाढा कैंप के लिए अधिग्रहित कर लिया. जहां प्रशासन द्वारा बुधवार को उन लोगों का घर-मकान तोड़कर उन्हें फिर से बेघर कर दिया. पीड़ित ने बताया कि वे सभी इस समस्या के समाधान को लेकर जिला पदाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक न्याय की गुहार लगाया. लेकिन सबों ने उनकी आवाज को अनसुनी कर दी. विस्थापित परिवारों ने बताया कि प्रशासन ने उनका घर-मकान तो तोड़ दिया. लेकिन उसके पुनर्वास के लिए अब तक किसी ने उनकी सुधि नहीं ली. दो दिनों से छोटे-छोटे बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे दिन-रात बीतने को वो लोग मजबूर हैं.

कैसे बदल गया कैंप का स्थल : विस्थापित परिवार के लोगों ने बताया कि भारत-नेपाल सीमा पर स्थित गोबरगढ़ा पर चौकसी बरतने के उद्देश्य से गृह विभाग ने एसएसबी 45वीं बटालियन ढाढा को कोसी पूर्वी तटबंध के किनारे मौजा ढाढा में प्रखंड बसंतपुर में कैंप स्थापित करने के लिए जगह निश्चित किया था.

लेकिन तत्कालीन एसएसबी 45वीं बटालियन के कमांडेंट ने एसएसबी 45वीं बटालियन ढाढा को नियत जगह पर स्थापित नहीं करके राघोपुर प्रखंड के बसावनपट्टी रेफरल अस्पताल के लिए निर्मित मकान में स्थापित कर दिया. अब बिहार सरकार ने इस कैंप के निर्माण के लिए कोसी पुनर्वास बसावनपट्टी में जमीन अधिग्रहित करके उन लोगों को फिर से विस्थापित कर दिया.

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