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वेंटीलेटर पर है ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था

एलोपैथ चिकित्सक की जगह आयुष चिकित्सक लिखते हैं दवा उप स्वास्थ्य केंद्र पर एएनएम करते हैं मरीजों का इलाज एएनएम के थैला में चलता है अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र सुपौल : जिले के ग्रामीण आबादी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है. इस इलाके में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के चाहे जितने भी दावे किये गये. […]

एलोपैथ चिकित्सक की जगह आयुष चिकित्सक लिखते हैं दवा

उप स्वास्थ्य केंद्र पर एएनएम करते हैं मरीजों का इलाज
एएनएम के थैला में चलता है अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र
सुपौल : जिले के ग्रामीण आबादी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है. इस इलाके में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के चाहे जितने भी दावे किये गये. जमीनी सच्चाई कुछ अलग ही दिखाई देती है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जो प्रखंड मुख्यालय में अवस्थित है को छोड़कर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र को खुद इलाज की जरूरत है. बदहाली का हाल यह है कि इन अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर से लेकर नर्स तक का अभाव है. कई उप स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं जहां कभी-कभी ही ताला खुलता है. बंद पड़े इन केंद्रों का परिसर मवेशियों का चारागाह बना रहता है.
डायलिसिस पर है उप स्वास्थ्य केंद्र : सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति बदहाल है. इन केंद्रों की जिम्मेवारी एक एएनएम पर है . बदहाली की स्थिति यह है कि यहां की पूरी व्यवस्था को डायलिसिस की जरूरत है. कई उप स्वास्थ्य केंद्र तो केवल टीकाकरण के लिए महीने में दो बार खुलता है. और कई उप स्वास्थ्य केंद्र मोबाइल पर ही चलता है. एएनएम की इच्छा हुई तो किसी के दरवाजे पर उप स्वास्थ्य केंद्र लगा दिया और शेष दिनों में उसके झोले में ही उप स्वास्थ्य केंद्र रहता है. कई उप स्वास्थ्य केंद्र तो देखने से कहीं से नहीं लगता है कि यह अस्पताल है.
दवा के नाम पर मिलता है आश्वासन : सरकारी स्तर पर 26 से 32 प्रकार की दवाईयां अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध होने के दावे किये जाते हैं. लेकिन अक्सर 6 से 7 प्रकार की दवाईयां ही मरीजों को मिल पाती है. दावा के नाम पर खांसी के सीरफ, एक-दो एंटीवाइटिक और कृमि की दवा ही आम लोगों को मिलती है. बांकी दवाइयां के लिए गरीब मरीजों को बाजार का रुख करना पड़ता है. इस हाल में गरीब मरीज सरकारी पुरजा समेट कर एक-आध दवा को लेकर घर जाना बेहतर समझते हैं. ऐसे में इन गरीब मरीजों का इलाज अधूरा रह जाता है और स्वास्थ्य के प्रति सरकार के दावे पर सवालिया निशान लग जाता है.
आयुष चिकित्सक के भरोसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
जिले के अधिकतर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आयुष चिकित्सक के भरोसे से चल रहा है. यह अलग बात है कि यहां आयुर्वेदिक दवा नहीं मिलती है, लेकिन आयुष चिकित्सक दवा जरूर लिखते है. ऐसे में मरीजों का किस तरह का इलाज होता होगा यह आसानी से समझा जा सकता है. जबकि अमूमन सभी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एलोपैथिक चिकित्सक के पद खाली पड़े हैं. ग्रामीणों की माने तो प्रत्येक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 70 से 110 मरीज प्रतिदिन आते हैं. लेकिन डॉक्टर के अभाव में इन मरीजों की चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे ही हैं.
कहते हैं अधिकारी
सिविल सर्जन रामेश्वर साफी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में कर्मी का अभाव है. आयुष चिकित्सकों को ट्रेनिंग देकर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दिया गया है. एएनएम को बहुत सारा कार्यक्रम में भाग लेना पड़ता है, जिसके कारण उप स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं पहुंच पाते हैं.

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