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गांव से भी बदतर है वार्ड नंबर 28

गांव से भी बदतर है वार्ड नंबर 28 मुहल्ले में पोल खड़े हैं, पर बिजली नहीं हैफोटो-01 से 08 तककैप्सन- मुहल्ले की सड़क व स्थानीय लोगों का फोटो.प्रतिनिधि,सुपौलएक तरफ लोग शहर की सुविधा व संसाधन से आकर्षित हो कर गांव को छोड़ कर शहरों में बसने का सपना देखते हैं. यहां रहने के लिए अपनी […]

गांव से भी बदतर है वार्ड नंबर 28 मुहल्ले में पोल खड़े हैं, पर बिजली नहीं हैफोटो-01 से 08 तककैप्सन- मुहल्ले की सड़क व स्थानीय लोगों का फोटो.प्रतिनिधि,सुपौलएक तरफ लोग शहर की सुविधा व संसाधन से आकर्षित हो कर गांव को छोड़ कर शहरों में बसने का सपना देखते हैं. यहां रहने के लिए अपनी कमाई लगा कर इन सुविधाओं का लाभ लेने के लिए शहर की तरफ रुख करते है, ताकि यहां मिल रहे संसाधनों का लाभ ले सकें. पर, जिला मुख्यालय के नगर परिषद वार्ड नंबर 28 के लोग अभी भी विकास से कोसों दूर है. बिजली, पानी की सुविधा तो दूर इस मुहल्ले को मुख्यालय बाजार से जोड़ने वाली सड़क की हालत गांव की यादें ताजा कर देती है. बरसात के मौसम में इन सड़कों की हालात इतनी खराब हो जाती है, कि मुहल्लेवासी रोजमर्रा की वस्तु की खरीदारी के लिए बाजार का रुख करने से पहले सौ बार सोचते है. वर्ष 1983 में मुहल्ले वासी को बिजली की आपूर्ति करने के लिए मुहल्ले में पोल जरूर गाड़ा गया था. लेकिन दो दशक बाद भी मुहल्ले में बिजली नहीं पहुंच पायी है. नगर परिषद के किनारे में बसा यह मुहल्ला कई मायनों में अलग-थलग पड़ा है. इसे भले ही नगर परिषद क्षेत्र के अधीन कर लिया गया है. लेकिन हकीकत यही है कि इस मुहल्ले के लोगों को नगर परिषद द्वारा मुहैया करायी जाने वाली कोई भी सुविधाएं प्राप्त नहीं हो रही है. लगभग दो हजार की आबादी वाले इस मुहल्ले में ज्यादातर अतिपिछड़ा व महादलित समाज के लोग रहते हैं. सरकार द्वारा महादलितों व पिछड़ों के उत्थान के लिए भले ही लाख दावे किये जाते हों, लेकिन मुहल्ले वासियों के हालात नगर विकास योजनाओं की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है. क्या है मूल समस्याकहने के लिए नगर परिषद लेकिन सुविधा के नाम पर आज तक कुछ नहीं, यहीं इस मुहल्ले की पहचान है. जहां दो हजार से उपर की आबादी पर भी ना तो सड़क का जीर्णोद्धार हुआ और न ही बिजली व अन्य सुविधाएं लोगों को मिल पायीं. आज भी गांव के लोग अदद इंदिरा आवास तक नहीं मिलने की बात करते है. शौचालय तो दूर की बात है. वीणा रोड स्थित डहरा मोड़ से मुहल्ला की तरफ जाने वाला रास्ता, जो नवनिर्मित रजनीकांत पब्लिक स्कूल होते हुए , वार्ड नंबर 28 के हजारों आबादी के बीच से गुजरते हुए प्रखंड क्षेत्र के वीणा पंचायत तक जाती है. जबकि इस सड़क का लगभग 04 सौ फीट नगर परिषद क्षेत्र के अधीन आता है. बावजूद अब तक इस सड़क के निर्माण की दिशा में कोई खास पहल नहीं की गयी. जिला मुख्यालय के शायद एक मात्र मुहल्ला है, जहां आज भी बिजली नहीं पहुंच पायी है. और इस मुहल्ला के लोग आज भी ढिबरी युग मे ही जीने को मजबूर है.कहते हैं मुहल्लावासीमिथिलेश कुमार मंडल कहते हैं कि नगर विकास की कोई योजना आज तक नहीं चली है. मुहल्ले में बिजली की आपूर्ति हेतु वर्ष 1983 में पोलिंग की गयी थी. लेकिन विभाग द्वारा बीच में ही काम रोक दिया गया. जिसके कारण पोल पर लगे सभी तार धीरे -धीरे चोरों द्वारा चोरी कर लिया गया. उसके बाद गत जून -जुलाई के महीने में फिर से पोलिंग शुरु जरूर की गयी, लेकिन अब तक मुहल्ले में बिजली की आपूर्ति नहीं की गयी है.हरी लाल मंडल कहते हैं गत विधान सभा चुनाव के दौरान स्थानीय विधायक के सामने हम लोगों ने अपनी समस्या रखी थी. आश्वासन भी मिला. कहा गया मुहल्ले का विकास उनकी पहली प्राथमिकता होगी. बावजूद विकास से संबंधित ऐसी कोई गतिविधि यहां देखने को नहीं मिल रही है. संजय कुमार का कहना है कि गांव के लोग शहर के चकाचौंध से प्रेरित हो कर शहर की तरफ आते हैं, लेकिन हम लोगों को शहर में रह कर भी यहां के संसाधनों का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. यहां तो शुद्ध पानी भी लोगों को नहीं मिल पा रहा है. मोहन सादा ने बताया कि इस मुहल्ले में महादलित बस्ती में लगभग आठ सौ से ज्यादा लोग रहते है. बावजूद विकास के नाम पर यहां कोई कार्य नहीं किया गया. सड़क, पानी, बिजली, शौचालय व अन्य कोई भी सुविधा यहां के लोगों को सरकारी स्तर पर नहीं मुहैया करायी गयी है. लालो सादा कहते है विकास की बात यहां के लोगों के लिए बेमानी है. शहर में रहने के बावजूद हम लोगों को किसी तरह की सुविधा नहीं है. आज भी यहां के बच्चे बिजली की बल्ब की बजाय ढिबरी की रोशनी में पढ़ने को विवश हैं.नंद लाल सादा का कहना है कि केवल कहने के लिए हम लोग जिला मुख्यालय में रहते हैं. यहां के हालात देहात से भी बदतर हैं. अब तो हम लोगों ने तो आस भी छोड़ दिया है कि इस मुहल्ले का भी विकास होगा. नीलम देवी, संदीप कुमार सादा आदि लोगों की कमोवेश यही शिकायत इस वार्ड को लेकर है, जो आज भी विकास की बाट जोट रहे हैं कि कब किसी जनप्रतिनिधि की नजर इन पर पड़े. इस बाबत कार्यपालक दंडाधिकारी नगर परिषद एसके मिश्रा ने बताया कि वार्ड विकास से संबंधित चलायी जाने वाली योजनाएं नगर परिषद बोर्ड द्वारा तय की जाती है.

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