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आनंद निरपेक्ष है इसमें दुखों का मश्रिण नहीं होता : शिवानंद जी महाराज

सुपौल : स्थानीय व्यापार संघ स्थित राधाकृष्ण ठाकुरबाड़ी परिसर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को प्रात: छह बजे से दस बजे तथा अपराह्न दो बजे से छह बजे तक संगीतमय प्रवचन का आयोजन किया गया. हरिद्वार से आये प्रवचन कर्ता स्वामी शिवानंद जी महाराज ने कहा कि सच्चिदानंद के स्वरूप पर […]

सुपौल : स्थानीय व्यापार संघ स्थित राधाकृष्ण ठाकुरबाड़ी परिसर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को प्रात: छह बजे से दस बजे तथा अपराह्न दो बजे से छह बजे तक संगीतमय प्रवचन का आयोजन किया गया.

हरिद्वार से आये प्रवचन कर्ता स्वामी शिवानंद जी महाराज ने कहा कि सच्चिदानंद के स्वरूप पर विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि प्राणियों को अपनी सत्ता का अनुभव तो होता है.

लेकिन चित् और आनंद का अनुभव सबकों नहीं होता. कहा कि सत् से चित् स्थूल है और चित् से स्थूल आनंद है. बताया कि सत जितना व्यापक है उतना चित नहीं और चित जितनी व्यापक है उतना आनंद नहीं. बताया कि साधारण मनुष्य क्रियाशील वस्तुओं को चेतन और लौकिक सुख को आनंद मान लेते हैं. बताया कि सत सभी जगह पर प्रकट है और चित जीवों में निहित है.

जबकि आनंद तत्व ज्ञानी में विराजमान है. स्वामी जी ने सात्विक सुख, शांति और आनंद के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि चिन्मयता के संबंध से यानी संकीर्तन आदि से प्राणियों को सात्विक सुख की प्राप्ति होती है. बताया कि सात्विक सुख में डूबकी लगाने से शांति मिलती है और इसी शांति के माध्यम से लोगों को आनंद की अनुभूति होती है.

उन्होंने सांसारिक सुख व पारमार्थिक आनंद पर चर्चा करते हुए बताया कि जीवों में सांसारिक सुख के साथ दुख भी निहित है. जबकि आनंद निरपेक्ष है. इसके साथ कभी भी दुख का मिश्रण नहीं होता. कहा कि सांसारिक सुख विकार है पर आनंद निर्विकार है. बताया कि सांसारिक सुख विषयेंद्रिय – संयोगजन्य व भभका है.

जबकि दुख, परिवर्तन, कमी हलचल, विक्षेप, विषमता, पक्षपात आदि का ना होना ही आनंद है.आनंद के हैं दो रूप स्वामी जी ने बताया कि आनंद के दो स्वरूप है. अखंड आनंद और अनंत आनंद. उन्होंने प्रेम के आनंद को अनंत आनंद तथा मुक्ति के आनंद को अखंड आनंद तथा बताया. कहा कि अखंड आनंद सम, शांत, एक रस रहता है.

जबकि अनंत आनंद प्रतिक्षण वर्धमान रहता होता है. कहा कि प्रेम का आनंद मुक्ति के आनंद से काफी विलक्षण प्रतीत होता है. कहा कि मुक्ति में तो केवल सांसारिक दुख ही मिटता है और जीव वैसा का वैसा ही रहता है. पर प्रेम में स्वयं का अपने अंशी परमात्मा की ओर खिंचाव होता है. कहा कि यदि साधक अपना आग्रह ना रखे तो शांत रस अखंड रस में और अखंड रस अनंत रस में स्वत: लीन हो जाता है.

कथास्थल पर जुटी श्रद्धालुओं की भीड़ श्रीमद भागवत कथा के दौरान भक्तजनों की भारी भीड़ देखी गयी. व्यवस्थापक मोहन प्रसाद चौधरी ने बताया कि राधा कृष्ण ठाकुरबाड़ी परिसर में सात दिवसीय कथा का आयोजन किया गया है. हरिद्वार से आये स्वामी शिवानंद जी महाराज के कथा वाचन से दर्जनों श्रद्धालु प्रवचन का आनंद लेते हुए भक्ति रस में गोता लगा रहे हैं. संगीतमय कथा प्रवचन से आस पास का वातावरण भक्ति मय हो रहा है.

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