सुपौल : ऐ अल्लाह हम ने तेरे लिए रोजा रखा, तेरे ऊपर ईमान लाया और तेरे ऊपर भरोसा रखा तथा तेरे द्वारा दिये रिज्क से इफ्तार किया. यह वह दुआ है जो रोजा की समाप्ति से पूर्व मंगलवार को विभिन्न मस्जिदो में दुआ पढ़ कर रोजेदारों ने इफ्तार किया. डॉक्टर मौलाना मो अब्दुल्लाह क़ासमी कहते हैं कि इफ्तार के समय में अल्लाह से मांगी गई दुआ को अल्लाह कुबूल फरमाता है.
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रमजान में भूखे-प्यासे रहकर रोजेदारों ने किया अल्लाह को याद
सुपौल : ऐ अल्लाह हम ने तेरे लिए रोजा रखा, तेरे ऊपर ईमान लाया और तेरे ऊपर भरोसा रखा तथा तेरे द्वारा दिये रिज्क से इफ्तार किया. यह वह दुआ है जो रोजा की समाप्ति से पूर्व मंगलवार को विभिन्न मस्जिदो में दुआ पढ़ कर रोजेदारों ने इफ्तार किया. डॉक्टर मौलाना मो अब्दुल्लाह क़ासमी कहते […]
अल्लाहताला ने सभी मुसलमान मर्द और औरत के ऊपर रोजा फर्ज करार दिया है. जब मक्का की सरजमीन से आखरी पैगंबर हिजरत करके मदीना जाकर अपना ठिकाना बना लिया और इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार को अंजाम दिया. अल्लाहताला द्वारा मेराज में दिए गए रोजा के उपहार के बाद रोजा की शुरुआत की गई.
नबी फरमाते हैं कि इस्लाम पांच चीजों की बुनियाद पर खड़ा है. जिसमे कलमा के माध्यम से अल्लाह को माबूद और अल्लाह के रसूल को मानना, नमाज की पाबंदी, हज, रोजा और जकात की अदायगी करते रहना शामिल है. मौलाना मुफ़्ती नेहाल नदवी कहते हैं कि रमजान के दिनों के तीस दिन मुसलमान अल्लाह के हुक्म पर नफ़सानी खाहिशात को मारते हुए भूखे प्यासे रहकर खुदा की बंदगी करते हुए रोजा को अंजाम देते हैं.
मुफ़्ती साहब रमजान की फजीलत के बारे में कहते हैं कि इस महीना की सबसे ज्यादह विशेषता जो अन्य महीनों को नसीब नहीं है. जैसे पूरे रमजान में रोजा रखना, 20 रिकात अतिरिक्त तरावीह की नमाज के दौरान पूरे तीस पारा कुरान को सुनना, लैलतुल कद्र की रात से फैजयाब होकर अपने गुनाहों की मगफिरत के लिये अल्लाह से मिन्नत करना, इस रात को हजार महीनों से बेहतर बताया गया है. नमाज के हर रिकात पर 70 नेकी नामा आमाल में दर्ज किया जाता है.
सबसे बड़ी खुसीसित यह है कि अल्लाहताला नें लैलतुल कद्र की रात में दुनिया वालों की हिदायत के लिए कुरान को अपने पैगंबर पर नाजिल किया. इफ्तार के पश्चात इमाम साहब की कयादत में मगरिब की नमाज अदा की गई. इस के साथ ही खापी कर पुनः ऐशा की नमाज के साथ ही हाफिज साहब की इमामत में 20 रिकआत अतिरिक्त तरावीह की नमाज कुरान पाठ के साथ की गई.
मौलाना कहते हैं कि प्रत्येक दिन रमजान में यह सिलसिला चलता रहेगा. कार्यक्रम के अनुसार शाम में सूरज डूबने के पश्चात 6:23 बजे इफ्तार, 7:00 बजे मगरिब की नमाज. 8 बजकर 30 मिनट पर ऐशा की नमाज. तद्पश्चात 20 रिकआत अतिरिक्त तरावीह की नमाज तथा 3 बजकर 28 मिनट से पहले सेहरी खाने के पश्चात कल के रोजा की नीयत करना.
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