प्रतिनिधि, सीवान. सोमवार को सदर अस्पताल के ओपीडी में में विश्व श्रवण दिवस सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद की उपस्थिति में मनाया गया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि आधुनिकता और भागमभाग वाली दौर में ध्वनि प्रदूषण की समस्या से निजात पाना मुश्किल हो गया है. आजकल हर तरफ किसी न किसी मशीन, गाड़ी या डीजे पर चल रहे गाने की तेज ध्वनि को आसानी से सुनी जा सकती है, जो लोगों के सुनने की क्षमता को कम कर रही है. नियमित रूप से तेज ध्वनि के सुनने या नजदीक रहने के कारण हम सभी बहरेपन का शिकार हो सकते हैं. मरीज़ों से अपील की गई कि लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए सामाजिक संगठनों, माता-पिता, शिक्षकों और चिकित्सकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि युवाओं को श्रवण से संबंधित सुरक्षित आदतों के लिए शिक्षित के साथ ही प्रेरित भी करते रहें. समय रहते बहरेपन का उपचार किया जाना अतिआवश्यक प्रभारी जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. ओम प्रकाश लाल ने बताया कि बहरेपन की समस्या से निपटने के लिए समय रहते इस बीमारी का उपचार किया जाना अतिआवश्यक है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिसवन की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रूपाली रस्तोगी ने बताया कि अगर तेज आवाज में लंबे समय तक लगातार रहा जाए तो इससे शिशु में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है.कोर्टिसोल एक स्ट्रेस हार्मोन होता है. इसके कारण बच्चा जन्म के बाद से ही चिड़चिड़ा हो जाता है. बहुत ज्यादा तेज आवाज में गाने सुनने से बर्थ डिफेक्ट होने का खतरा बढ़ जाता है.इससे भ्रूण का प्राकृतिक विकास धीमा हो जाता है साथ ही इससे गर्भवती महिलाओं को भी तनाव, हाइपरटेंशन जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
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