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siwan news : महागौरी की पूजा व खोइंछा भरकर मांगी खुशहाली

siwan news : मां के दिव्य दर्शन के लिए उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़, चप्पे-चप्पे पर मजिस्ट्रेट व पुलिस बल तैनातचहुंओर हो रही मां शेरावाली की जय जयकार की ध्वनि से शहर व गांवों में भक्तिमय माहौल

सीवान. शारदीय नवरात्र के आठवें दिन महागौरी की पूजा-अर्चना की गयी. क्या शहर क्या गांव. पूरा जिला भक्तिरस में डूब चुका है. माता के दरबार में सुबह से भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया, जो पूरे रात तक जारी रहा. रंग-बिरंगी रोशनी से शहर जगमगा उठा.

शहर की हर सड़कें और गलियां श्रद्धालुओं की भीड़ से अटी-पटी रही. अधिकांश पूजा पंडालों में स्थापित मां शेरावाली की गोद भरने के लिए महिलाओं की लंबी कतारें लगी रहीं. लौंग, इलायची, अक्षत, चंदन, फूल, मिठाई आदि से महिलाओं ने मां की गोद भर सौभाग्य, संतान व सुख-समृद्धि के लिए मां के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद मांगा. सुबह होते ही महिलाएं अपने-अपने हाथों में थाली में पूजा सामग्री लेकर मंदिरों की तरफ निकल पड़ीं. भक्तों ने नगर के कचहरी रोड स्थित दुर्गा मंदिर, गांधी मैदान स्थित दुर्गा मंदिर, फतेहपुर स्थित दुर्गा मंदिर, रजिस्ट्री कचहरी रोड स्थित काली मंदिर सहित अन्य मंदिरों में पूजा-अर्चना की. माना जाता है कि मां का महागौरी रूप अमोघ फलदायिनी है. इसमें भक्तों के तमाम क्लेश धूल जाते हैं. पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं.

महागौरी की पूजा-अर्चना, उपासना-आराधना कल्याणकारी है. इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं. मां का यह रूप पूर्णत: गौर वर्ण है. इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गयी है. अष्टवर्षा भवेद् गौरी यानी इनकी आयु आठ साल की मानी गयी है. इनके आभूषण और वस्त्र सफेद हैं. इसलिए इन्हें श्रवेतांबरधा कहा गया है. इनकी 14 भुजाएं हैं. वाहन वृषभ है. इसीलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा गया है. इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है. नीचे वाले हाथ में त्रिशूल धारण की हुई हैं. ऊपर वाले बाएं हाथ में डामरू है. नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. इनकी पूरी मुद्रा बहुत शांत है. पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी. इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया, लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया. उनका रूप गौर वर्ण का हो गया. इसलिए यह महागौरी कहलायीं.

आज मां के सिद्धिदात्री रूप की होगी पूजा

बुधवार को महानवमी पर मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जायेगी. मान्यता है कि इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान व पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है. पंडित गोपाल जी पांडे ने कहा कि भगवान शिव ने भी इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था. इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्रवर नाम से प्रसिद्ध हुए. इस देवी की पूजा नौवें दिन की जाती है. इस रूप की देवी के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, उपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख व ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है. इनका वाहन सिंह है. यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं. विधि विधान से नौवें दिन इस देवी की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं. यह देवी का अंतम स्वरूप है. इनकी साधना करने से लौकिक व परलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है. वहीं शहर में नवमी पर बुधवार को श्रद्धालुओं द्वारा कन्या पूजन व हवन कराया जायेगा. अष्टमी व्रत का पारण भी इसी दिन किया जायेगा. इसी दिन श्रद्धालुओं द्वारा कन्या कुंवारी व ब्राह्मण का भोजन भी कराया जायेगा. जो लोग पूरे नवरात्र व्रत को कर रहे हैं, वे लोग दशमी को पारण करेंगे. इस दिन भर विधिवत पूजा का दौर चलता रहेगा.

मंदिरों के गेट खुलते ही पूजा-अर्चना के लिए उमड़ीं महिलाएं

मंगलवार को महाअष्टमी पर मंदिरों के गेट खुलते ही दर्शन के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा. मुख्य गेट बंद होने के कारण सैकड़ों की संख्या में भक्त यहां कतार में नजर आये. यह दृश्य नगर के कचहरी रोड स्थित दुर्गा मंदिर, गांधी मैदान स्थित बुढ़िया माई मंदिर का था. इस दौरान महिला, पुरुष, बच्चे सभी शामिल रहे. सबों के हाथों में या तो पूजा की थाली है या फिर कपड़े के थैले या पॉलीथिन में नारियल व अगरबत्ती. सबकी नजरें मंदिर के गेट की ओर टिकी है. साथ ही मंदिर के पास सजी पूजा सामग्री की दुकानों पर भी भक्तों की काफी संख्या में भीड़ रही. मंदिर में सुरक्षा को लेकर काफी संख्या में सुरक्षा बल भी तैनात किये गये थे. जैसे ही मुख्य गेट को खोला गया पूजा करने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश किये और बारी-बारी से पूजा-अर्चना करते नजर आये.

मेले के माहौल में रंग चुका है पूरा नगर

पूजा का उत्साह चरम पर है और पूरा नगर का इलाका मेले के माहौल में रंग चुका है. सभी के मन में एक ही भाव मां का दर्शन करने का है. हर कोई एक पंडाल से दूसरा, तीसरा फिर अन्य पंडाल घूमने का सिलसिला जारी रख रहे है. जब तक कोई थक नहीं जा रहा है, तब तक दर्शन के लिए जा रहे हैं. भक्तों के चेहरे पर मां के दर्शन की लालसा है तो बच्चे घूमने को लेकर उत्साहित हैं. बुधवार को पूरे शहर में मेले का उत्साह देखने को मिला. नगर के पी देवी मोड़ से लेकर ललित बस स्टैंड और बड़हरिया मोड़ से विजयहाता मोड़ तक लोगों का तांता लगा रहा. जैसे ही लोग ललित बस स्टैंड पहुंच रहे थे, तो वहां से दर्शन करने के बाद बड़हरिया मोड़, बबुनिया मोड़, फतेहपुर बाइपास और पी देवी मोड़ के पास स्थापित प्रतिमा और पंडाल का दर्शन कर रहे थे. इसके बाद अन्य पंडालों का दर्शन के लिए निकलते थे. इसी तरह लोग थाना रोड, सोनार टोली, सब्जी मंडी, पकड़ी मोड़, रामराज्य मोड़, श्रीनगर सहित अन्य स्थानों पर स्थापित पंडालों को देख रहे थे.

बुढ़िया माई मंदिर में मन्नत मांगने की लगी रही होड़

शहर के गांधी मैदान स्थित बुढ़िया माई मंदिर में नवरात्र के महाअष्टमी को मन्नत मांगने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. इस दौरान आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. सुख-समृद्धि व शांति के लिए लोग माता के चरण में शीष झुकाते रहे. हाथ में चुनरी व मां के शृंगार का सामान लिये महिलाओं की लंबी कतार मां की पूजा के लिए लगी रही. बीच-बीच में मां के जयकारे व गीत से वातावरण गूंज रहा था. शाम होने के साथ ही श्रद्धालुओं की भीड़ से पूरा मंदिर परिसर पट गया. शहर के कई स्थानों पर पंडाल में इतनी भीड़ थी कि वह देखने लायक था. इसी तरह शहर के महादेवा रोड, नया बाजार, श्रीनगर, बबुनिया मोड़, बड़हरिया बस स्टैंड, डॉक्टर्स कॉलोनी, फतेहपुर बाइपास, सब्जी मंडी, सोनार टोली, गल्ला मंडी सहित अन्य स्थानों पर पूजा पंडालों में पूजा-अचना की जा रही है.

देर रात तक निर्धारित स्थान पर तैनात रहे पुलिसकर्मी

दुर्गापूजा का पूर्व शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराने के लिए तैनात किये गये पुलिस कर्मी बुधवार को देर रात तक निर्धारित स्थानों पर तैनात रहे. पुलिस कर्मियों ने इस दौरान पूजा पंडालों की ओर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर नजर रखी. दंडाधिकारी भी देर रात तक चौक-चौराहों के समीप बनाये गये पूजा पंडालों के आसपास तैनात दिखे.

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