गुठनी. प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज के नाम पर सिर्फ दवा देकर खानापूर्ति की जा रही है. अस्पताल में अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे की व्यवस्था नहीं होने से गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों का उपचार नहीं हो पा रहा. संसाधनों के अभाव में अधिकांश मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. गुठनी पीएचसी में इलाज कराने आए मरीजों को उस समय असुविधाओं का सामना करना पड़ता है. जब पीएचसी में तैनात डॉक्टरों की ओर से उन्हें अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे के लिए जांच लिख दिया जाता है. मौके का फायदा देख प्राइवेट अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे वाले उनसे अधिक राशि लेते हैं. करते हैं. जब की पीएचसी में अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे ना रहने से गरीब, मजदूर, किसान और महिलाओं को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है. अस्पताल में विभागीय लैब और टेक्नीशियन की भी नियुक्ति की गई है. इसके लिए जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई बार मांग की थी. लेकिन आज तक उन समस्याओं को नहीं सुधारा जा सका. प्रखंड के 10 पंचायतों के करीब 98 गांव से सैकड़ों मरीज पीएचसी में रोज आते है जहां कहीं दवाइयों की कमी, कहीं व्यवस्थाओं की कमी, कहीं डॉक्टरों की कमी तो कहीं कर्मियों की कमी से रोज दो चार होना पड़ता है.पीएचसी में उस समय अफरा तफरी मच जाती है जब एक्सीडेंटल केस, मारपीट के गंभीर मामले, बर्न केस सामने आ जाते है. वहीं ग्रामीणों ने बताया कि महिला चिकित्सक के नहीं होने से महिला मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में वर्तमान में एमओआइसी सहित चार चिकित्सक तैनात हैं. चिकित्सकों द्वारा मरीजों को उपचार के नाम पर सिर्फ जरूरी परामर्श कर पर्चा पर दवा लिखा जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर बिल्डिंग भले ही 30 शैय्या के अस्पताल की हो लेकिन जरूरी उपकरण के अभाव में लोगों को इलाज नहीं मिल पाता है. चिकित्सक मरीज से बीमारी पूछकर दवा लिखकर दे देते हैं. ज्यादा गंभीर बीमारी होने पर रेफर कर दिया जाता है. सामान्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के उपचार के नाम पर सिर्फ एंटीबायोटिक गोलियों से काम चलाया जाता है. बुजुर्गों के लिए सांस व खांसी की बीमारी को रोकने के लिए सिर्फ गोली ही थमा दी जाती है. पीएचसी पर बुजुर्गों के लिए कोई सीरप तक नहीं मिल पाते हैं. महिलाओं को किसी भी तरह की समस्या होने पर पुरुष चिकित्सकों के पास जाना पड़ता है. इसमें कई महिलाएं झिझकती भी हैं. एमओआइसी डॉ शब्बीर अख्तर का कहना है कि जिन सुविधाओं की कमी है उसके लिए कई बार विभाग को लिखा गया है लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
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