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प्रवासी मतदाता बनेंगे चुनावी समीकरण के ‘गेम चेंजर’

इस बार बिहार में एक अद्भुत संयोग देखने को मिल रहा है, जब लोकआस्था का महापर्व छठ और लोकतंत्र का महापर्व चुनाव लगभग एक साथ मनाये जा रहे हैं. आस्था और नागरिक जिम्मेदारी का यह संगम इस बार सीवान जिले में एक नई ऊर्जा लेकर आयेगा.

प्रतिनिधि, सीवान. इस बार बिहार में एक अद्भुत संयोग देखने को मिल रहा है, जब लोकआस्था का महापर्व छठ और लोकतंत्र का महापर्व चुनाव लगभग एक साथ मनाये जा रहे हैं. आस्था और नागरिक जिम्मेदारी का यह संगम इस बार सीवान जिले में एक नई ऊर्जा लेकर आयेगा. .जिले के सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों में कुल 24,44,322 मतदाता हैं. खास बात यह है कि मतदान की तारीख छठ पर्व के छह दिन बाद तय की गई है. ऐसे में अन्य राज्यों और विदेशों में काम करने वाले लगभग दो से ढाई लाख प्रवासी मतदाता जब छठ मनाने अपने घर लौटेंगे, तो उन्हें इस बार आस्था और मतदान दोनों में भागीदारी का अवसर मिलेगा.सीवान पारंपरिक रूप से प्रवासी जिला माना जाता है.यहां के लोग बड़ी संख्या में दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पंजाब, राजस्थान से लेकर खाड़ी देशों तक काम करते हैं. हर साल छठ पर जब वे अपने गांव लौटते हैं, तो घाटों पर उमड़ने वाली भीड़ जिले की सांस्कृतिक पहचान बन जाती है. इस बार वही भीड़ पूजा के बाद मतदान केंद्रों पर भी नजर आ सकती है.जानकारों का अनुमान है कि प्रवासी मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी से इस बार मतदान प्रतिशत में 5 से 7 फीसदी की वृद्धि संभव है. यह वृद्धि कई सीटों पर जीत-हार का अंतर तय कर सकती है. प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. रेलवे और परिवहन विभाग ने छठ पर्व के अवसर पर स्पेशल ट्रेनों और अतिरिक्त बस सेवाओं की योजना तैयार की है ताकि अधिक से अधिक प्रवासी अपने घर लौट सकें.इस प्रकार, इस बार का सीवान छठ की भक्ति और लोकतंत्र की रोशनी से एक साथ जगमगाने को तैयार है.

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