प्रतिनिधि,दरौली यूपी के बलिया जिले से जोड़ने वाला पीपा पुल निर्माण अधर में हाेने से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है.नवंबर का प्रथम पखवारा समाप्त होने के बाद भी दरौली में सरयू नदी पर इस वर्ष पुल चालू नहीं हो पाया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पुल पहले अक्टूबर -नवंबर माह में या कार्तिक पूर्णिमा के मेले से कुछ दिन पहले ही बनकर तैयार हो जाता है. जिसका असर दरौली में 1 महीने तक चलने वाले सुप्रसिद्ध मेले में भी देखने को मिलता है. पुल चालू होने के बाद उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिकंदरपुर क्षेत्र से भी सैकड़ों की संख्या में लोग और दुकानदार दरौली के मेले में शिरकत करते हैं. बताया जाता है कि साल में 4 से 5 महीने तक चलने वाला यह पीपा पुल बन जाने के बाद दोनों तरफ के लोगों के लिए एक रिश्तो की डोर के रूप में काम करता है. यह पीपा पुल बनने के बाद दोनों तरफ से दोपहिया और चार पहिया वाहन बड़े ही आसानी से आ जा पाते हैं. बरसात के पहले हटा लिया जाता है पीपा पुल बरसात शुरू होने से पहले पीपा पुल को हटा लिया जाता है .नदी पर बनने वाले पीपा पुल का निर्माण उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ही विगत कई सालों से कराया जा रहा हो पर उनका इंतजार दोनों प्रदेश के सीमावर्ती लोगों को बड़े ही बेसब्री से रहता है. पीपा पुल के बनने से दोनों तरफ के छोटे व्यवसायियों को भी काफी फायदा होता है जो अभी पुल नहीं बनने से निराश होना पड़ रहा है. वर्ष 2007 में पहली बार बना था पीपा पुल लोगों की मानें तो साल 2007 में सिकंदरपुर के तत्कालीन विधायक मोहम्मद रिजवी द्वारा एक करोड़ से अधिक की लागत से पहली बार पीपा पुल का निर्माण कराया गया था. जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नदी पर पीपा पुल बनाने की परंपरा जैसी प्रारंभ हो गई. यूपी सरकार द्वारा लगातार का निर्माण कराए जाने के बाद अब तो स्थिति यहां तक पहुंच गई है की सरयू नदी पर पीपा पुल ही नहीं बल्कि पक्का पुल की नितांत आवश्यकता लोगों को महसूस होने लगी है. दो साल से ठप है पक्का पुल निर्माण पक्का पुल के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जहां पुल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है लेकिन दो साल से कार्य बंद है वहीं दरौली में भी बिहार सरकार द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र संभावित क्षेत्रों के काश्तकारों से भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया कर ली गई है. पुल का निर्माण 2016 में शुरू हुआ था और शुरू में इसे दिसंबर 2022 तक पूरा करना था, लेकिन नदी में पानी बढ़ने और कटान की वजह से पुल के पिलरों का निर्माण धीमा हो गया. नदी के कटान के कारण नौ अतिरिक्त पिलर बढ़ाने की जरूरत पड़ी, जिसके लिए रिवाइज्ड एस्टिमेट बनाई जा रही है. पुल की लंबाई भी बढ़ाकर लगभग दोगुना करने का प्रस्ताव है, जिससे लागत भी बढ़ जाएगी.विभाग के अनुसार, अब तक कुल 39 पिलरों में से 26 पिलर ही तैयार हो पाए हैं. धीमी गति से काम होने के पीछे बजट की बाध्यता और तकनीकी समस्याएं मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. इससे स्थानीय व्यापार और यातायात भी प्रभावित हो रहा है और लोगों में निराशा है .
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