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हत्या मामले में पूर्व विधान पार्षद मनोज सिंह बरी

सीवान. 10 वर्ष पूर्व पचरुखी के खाद्य व्यवसायी हरिशंकर सिंह की अपहरण व हत्या मामले में सुनवाई करते हुए अपर जिला न्यायाधीश तृतीय सह विशेष अदालत एमपी एमएलए संतोष कुमार सिंह की अदालत ने अभियोजन एवं बचाव पक्ष की दलील सुनने के पश्चात साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए शुक्रवार को पूर्व विधान पार्षद सह सीवान कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष मनोज सिंह को बरी करने का आदेश दिया.

प्रतिनिधि सीवान. 10 वर्ष पूर्व पचरुखी के खाद्य व्यवसायी हरिशंकर सिंह की अपहरण व हत्या मामले में सुनवाई करते हुए अपर जिला न्यायाधीश तृतीय सह विशेष अदालत एमपी एमएलए संतोष कुमार सिंह की अदालत ने अभियोजन एवं बचाव पक्ष की दलील सुनने के पश्चात साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए शुक्रवार को पूर्व विधान पार्षद सह सीवान कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष मनोज सिंह को बरी करने का आदेश दिया. बताया जाता है कि पचरुखी के खाद्य व्यवसायी हरिशंकर सिंह पचरुखी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर मॉर्निंग वॉक कर रहे थे. इसी क्रम में 15 नवंबर 2015 को प्रातः उनका पचरुखी रेलवे स्टेशन से अपहरण कर लिया गया. व्यवसायी के अपहरण को लेकर खूब हंगामा हुआ था. अपहृत के भाई दिवाकर सिंह के बयान पर अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई. संदेह होने पर अपहृत की पत्नी ने अपने ही एक निकटतम पप्पू सिंह के आचरण पर संदेह व्यक्त करते हुए आरोप लगाया. पुलिस ने पप्पू सिंह को गिरफ्तार किया. जब पप्पू सिंह पर पुलिस ने दबिश बनाई तो उसने अपहरण व हत्याकांड में अपनी संलिप्तता का जिक्र करते हुए अन्य अभियुक्तों का नाम लिया. पप्पू सिंह के बयान व निशानदेही पर जामो थाना के डुमरा छत्तीसी से हरिशंकर सिंह का क्षत विक्षत शव जमीन के अंदर से बरामद किया गया तथा दाब एवं लकड़ी का गट्टा भी बरामद किया गया. पुलिस ने इस कांड में 12 अभियुक्तों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की थी. इसी मामले में गवाही के दौरान अपहृत की पत्नी ,सूचक एवं उनके पिता द्वारा यह अभिकथन किया गया कि खाद्य व्यवसाय में वर्चस्व को लेकर मनोज सिंह की कांड में संलिप्तता थी. पुलिस ने उनके बयान के आधार पर पूरक आरोप का गठन करते हुए मनोज सिंह को भी अप्राथमिक अभियुक्त बना था. मनोज सिंह पूर्व पार्षद हैं इसलिए उनका मामला एमपी एमएलए कोर्ट में विचारणवाद संख्या 8 सन 2015 के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया गया. शेष अभियुक्त के विरुद्ध मामला तत्कालीन अपर जिला न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की अदालत में विचारित किया गया. तत्कालीन सेशन न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने सभी नामजद अभियुक्तों को कांड का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास एवं अन्य सजा सुनाई थी. उक्त मामला अपीलीय क्षेत्राधिकार के अंतर्गत उच्च न्यायालय पटना में विचाराधीन हैं. इधर विचरण वाद संख्या 8 सन 2015 के अंतर्गत मनोज सिंह का मामला वर्तमान अपर जिला न्यायाधीश तृतीय सह विशेष अदालत एमपी एमएलए संतोष कुमार सिंह की अदालत में विचारित किया गया. मामले में बचाव का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता अमित सिंह ने स्पष्ट किया कि मनोज सिंह के विरुद्ध न तो कोई ठोस आधार है और न हीं कोई ऐसा सबूत है. जिसके आधार पर उनकी संलिप्तता को स्वीकार किया जा सकता है. जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक रघुवर सिंह, सहयोगी विपिन सिंह ने मनोज सिंह की संलिप्तता को पुलिस की कार्रवाई के आधार पर अभियुक्त बताया. दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात तथा अभिलेख पर साक्ष्य, सबूत के अवलोकन करने के बाद अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए मनोज सिंह को मामले से दोष मुक्त करते हुए बरी करने का आदेश पारित किया है.

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