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नाले के रुप में तब्दील हो रही है धमई नदी

प्रखंड की धमई नदी आज अपना बचाने की संकट से जूझ रही है. कभी अपनी निर्मल जलधारा से लोगों के जीवन का सहारा बनने वाली यह नदी आज धीरे–धीरे सिमटकर नाले में बदलने की कगार पर पहुंच गई है. किसानों के लिए यह नदी सिंचाई का मुख्य जरिया थी, जिससे वे बिना किसी बाधा के अपनी फसलों की सिंचाई किया करते थे. स्थानीय लोगों और प्रशासन की वर्षों की उपेक्षा ने नदी का स्वरूप बदल दिया है.

भगवानपुर हाट. प्रखंड की धमई नदी आज अपना बचाने की संकट से जूझ रही है. कभी अपनी निर्मल जलधारा से लोगों के जीवन का सहारा बनने वाली यह नदी आज धीरे–धीरे सिमटकर नाले में बदलने की कगार पर पहुंच गई है. किसानों के लिए यह नदी सिंचाई का मुख्य जरिया थी, जिससे वे बिना किसी बाधा के अपनी फसलों की सिंचाई किया करते थे. स्थानीय लोगों और प्रशासन की वर्षों की उपेक्षा ने नदी का स्वरूप बदल दिया है. नदी के विभिन्न हिस्सों में जलकुंभी तेजी से फैल रहा है, जिससे जल का प्रवाह बाधित हो गया है. जल प्रवाह बाधित होने से थोड़ी सी भी बारिश के पानी या नदी में पानी बढ़ता है तो आस पास के ग्रामीण आवासीय इलाके में बाढ़ का समस्या हो जाती हैं. इसके साथ ही आसपास के लोगों द्वारा बेझिझक नदी में कचरा फेंकने से स्थिति और खराब हो गई है. भगवानपुर स्थित धमई नदी के पुल के ऊपर और नीचे की स्थिति सबसे अधिक दयनीय है. दुकानों से निकलने वाला अपशिष्ट तथा सड़ा-गला कचरा सीधे नदी में बहा दिया जाता है. इससे नदी किनारों पर दुर्गंध फैल गई है और जल पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगी तो नदी पूरी तरह समाप्त हो सकती है. स्थानीय किसान मनोज कुमार बताते हैं कि हमारी खेती का सहारा यही नदी नहर थी. इसके पानी से आसानी से सिंचाई हो जाती थी. अब कचरा और गंदगी ने इसे खत्म कर दिया है. प्रशासन को जानकारी होते हुए भी, कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं संत नागमणि कहते हैं कि पुल के पास जितनी गंदगी है, उससे गुजरना भी मुश्किल हो गया है. मांस और मछली का कचरा नदी में फेंके जाने से हालत बद से बदतर हो गई है. प्रशासन को तुरंत सख्त कदम उठाना चाहिए. नदी की बदहाली सिर्फ एक कारण से नहीं, बल्कि वर्षों की उपेक्षा का परिणाम है. स्थानीय लोगों की लापरवाही और प्रशासन द्वारा अनदेखी का असर स्पष्ट रूप से दिखने लगा है. कृष्ण देवी बताती है कि हमारे बच्चे यहां से रोज गुजरते हैं. गंदगी और बदबू से बीमार पड़ने का डर रहता है. इस नदी की मिट्टी और पानी पहले औषधीय माना जाता था, आज खतरा बन गया है.

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