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मतदान कर्मियों को वीवीपैट की दी जानकारी
सीवान : सोमवार को शहर के अभ्यासार्थ मध्य विद्यालय परिसर में जिले में 12 मई को छठे चरण में होनेवाले 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर मतदानकर्मियों को वीवीपैट मशीन के बारे में व्यापक जानकारियां दी गयीं. मौके पर नोडल मास्टर ट्रेनर राकेश कुमार ने मतदान दिवस पर प्रात: छह बजे संपन्न किये जानेवाले मॉक पोल […]
सीवान : सोमवार को शहर के अभ्यासार्थ मध्य विद्यालय परिसर में जिले में 12 मई को छठे चरण में होनेवाले 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर मतदानकर्मियों को वीवीपैट मशीन के बारे में व्यापक जानकारियां दी गयीं.
मौके पर नोडल मास्टर ट्रेनर राकेश कुमार ने मतदान दिवस पर प्रात: छह बजे संपन्न किये जानेवाले मॉक पोल और मतदान प्रारंभ करने से पूर्व की जानेवाली तैयारियों के बारे में बताया.
कहा कि प्रशिक्षण गंभीरता से ले जो भी शंका हो उसका ऑन स्पॉट समाधान करें. वहीं सहायक नोडल मास्टर ट्रेनर रीतेश कुमार व प्रशिक्षक अमित कुमार वर्मा द्वारा बताया गया कि मतदान के दौरान मतदाताओं की सभी शंकाओं के समाधान के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा वीवीपैट नामक एक नयी यूनिट को इवीएम के साथ जोड़ा गया है.
इससे मतदान के दौरान मतदाता द्वारा डाले गये वोट की एक पर्ची सात सेकंड के लिए मतदाता को वीवीपैट मशीन स्क्रीन में दिखाई देगी. इसमें मतदाता का क्रमांक, उसका नाम एवं चुनाव चिह्न दिखाई देगा, जिससे मतदाता उस पर्ची को देखकर अपने मतदान से संतुष्ट हो सकेगा कि उसके द्वारा दिया गया मत सही व्यक्ति के पक्ष में ही गया है.
बताया कि दृष्टिहीनों के लिए ब्रेललिपि का भी इस्तेमाल किया गया है. जबकि प्रशिक्षक निशिकांत श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्व में कंट्रोल यूनिट व बैलेट यूनिट के माध्यम से मतदान किया जाता था. उन्होंने बताया है कि भारत निर्वाचन आयोग निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से आगामी लोक सभा निर्वाचन-2019 संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है.
उम्मीद की संख्या से कम कर्मी प्रशिक्षण में मौजूद : बता दें कि 160 मतदानकर्मियों के विरुद्ध सिर्फ 107 मतदान कर्मी ही संबंधित प्रशिक्षण स्थल पर उपस्थित हो पाये.
शिक्षकों की शिकायत है कि कई शिक्षक के एंप्लॉयमेंट इनफॉरमेशन भरने के बावजूद भी मोबाइल पर मतदान से संबंधित किसी प्रकार का मैसेज नहीं आ रहा है. इस कारण प्रशिक्षण स्थलों पर उम्मीद से कम संख्या पायी जा रही है.
कई एक का आरोप है कि विभाग द्वारा पुराने मोबाइल नंबर दिये गये हैं, जो वर्षों से बंद पड़े हुए हैं. शिक्षकों को भय सता रहा है कि विभाग की कमियों के कारण बेवजह दंडात्मक कार्रवाई के भागीदार न बने.
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