प्रतिनिधि, गुठनी. प्रखंड में 156 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है. जिनमें अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन तक नहीं बन पाया. वही पुराने भवनों को विभाग द्वारा रिपेयर करा कर काम लिया जा रहा है. जिनमें आज भी 125 आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना कोई निजी भवन नहीं है. वह किराये और निजी मकानों में चल रहा है. 31 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास ही अपना भवन है. अधिकांश केंद्रों में पेयजल के लिए चापाकल तो है, लेकिन इसमें दर्जनों बेकार पड़े हैं. पानी पीने के लिए बच्चों को या तो घर जाना पड़ता है या किसी दूसरे के दरवाजे पर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है. जिसके चलते बच्चों को परेशानियां होती है. कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों में पानी में आयरन, फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने का खुलासा जांच में हुआ है. कई केंद्रों को लेकर ग्रामीण बताते हैं कि कुछ साल पहले पेयजल को लेकर फिल्टर मिला था. लेकिन अधिकांश केंद्रों पर बच्चों को फिल्टर का पानी नसीब नहीं हो सका. प्रखंड मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे कई केंद्र हैं, जहां मानक के अनुरूप सुविधा उपलब्ध नहीं है. प्रखंड में एक केंद्र को मॉडल केंद्र के रूप में डेवलप किया गया है, लेकिन अधिकांश केंद्र आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज हैं. मेन्यू और पोषाहार वितरण में बरती जाती है विभागीय उदासीनता आंगनबाड़ी केंद्रों पर नौनिहालों को बांटे जाने वाले मेन्यू में भी कर्मियों द्वारा उदासीनता बरती जाती है. पूरे प्रखंड में कहीं पर भी विभाग द्वारा जारी मेन्यू के हिसाब से नौनिहालों को भोजन नहीं मिल पाता है. वही पोषाहार के नाम पर विभागीय खानापूर्ति की जाती है. जिससे राज्य सरकार द्वारा बच्चों और गर्भवती महिलाओं के साथ निर्देशों का भी उल्लंघन किया जाता है. सीडीपीओ का कहना है कि नियमित तौर पर सभी केंद्रों का गहनता से निरीक्षण किया जाता है. और किसी भी केंद्र पर अनियमितता पाए जाने पर उस पर कार्रवाई की जाती है. कागजों पर किया जाता है विभागीय काम राज्य सरकार द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्कूल पूर्व शिक्षा, टीकाकरण, रेफरल सेवा, किशोरी के लिए स्वास्थ्य व पोषण, बच्चों, गर्भवती व प्रसूति महिलाओं की नियमित स्वास्थ्य जांच जैसी सुविधा आंगनबाड़ी केंद्रों पर दी जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी केंद्र पर नौनिहालों की संख्या 5 और 10 से अधिक नहीं है व किसी भी केंद्र पर मेन्यू के हिसाब से खाना नहीं बनता है. क्या कहती है सीडीपीओ सरकार की योजनाओं को नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं को दिया जाता हैं. जहां शिकायत मिलती है, उसकी जांच भी की जाती है. सरोज पाठक,सीडीपीओ
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है