सफलता. सीवान में जाली नोट छपाई गिरोह का भंडाफोड़
बसंतपुर (सीवान) : जिले में नकली नोट छापने व उसे बाजार में खपाने वाले गिरोह का खुलासा करने में बसंतपुर पुलिस को कामयाबी मिली है. पुलिस ने चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है. उनके पास से करीब पांच लाख के जाली नोट और छापने वाली मशीन भी बरामद की गयी है. अपराधियों की निशानदेही पर क्षेत्र में लगातार छापेमारी की जा रही है.
पुलिस का दावा है कि अभी गिरोह के कई सदस्य फरार हैं, जिनकी गिरफ्तारी की जायेगी. बसंतपुर थाने में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसपी नवीन चंद्र झा ने मामले का खुलासा किया. एसपी को सूचना मिली थी कि जिले में नोट छापने वाली मशीन के साथ चार अपराधी बसंतपुर थाना क्षेत्र में आये हैं. उनके पास बड़ी संख्या में जाली नोट हैं, जिन्हें वे बाजार में खपाना चाहते हैं.
महाराजगंज के एएसपी संजय कुमार के नेतृत्व में एक टीम गठित की गयी. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया. इसके तहत पहले जाली नोट छापने के प्रिंटर के साथ बलथरा गांव से पंकज कुमार को पकड़ा.
इसके बाद उसकी निशानदेही पर पुलिस ने भगवानपुर थाने के चोरमा निवासी अंशु कुमार व दिनेश कुमार सहनी के साथ सारण के कोपा थाने के चतरा निवासी राजेश कुमार को गिरफ्तार किया गया. इनके पास से पिस्टल, मोबाइल व पासबुक आदि भी बरामद हुए. पूछताछ में चारों के पास से चार लाख 55 हजार के जाली नोटों के बंडल व कागज पर छपे नोटों के बंडल भी पुलिस ने जब्त किये हैं. आरोपितों की निशानदेही पर छापेमारी की जा रही है. संभावना है की बड़े रैकेट का खुलासा हो सकता है.
सीवान : बसंतपुर थाने के बलथरा गांव में पुलिस द्वारा छापेमारी कर नकली नोट छापने के रैकेट का खुलासा होने के बाद स्थानीय लोग आश्चर्यचकित हैं. लोगों को इन धंधेबाजों के गलत काम करने की भनक तक नहीं लगी.
पुलिस जब सोमवार की रात छापेमारी कर पंकज कुमार सिंह को गिरफ्तार किया तो मामले का खुलासा हुआ. पुलिस ने इस रैकेट के चार लोगों को गिरफ्तार किया है. इस धंधे में अभी कई लोग शामिल हैं, जो छापे गये नोटों को बाजार में खपाते थे. पुलिस उनकी तलाश कर रही है. इन लोगों के पकड़ में नहीं आने का मुख्य कारण यह है कि ये लोग पुराने पचास तथा बीस के अलावा नये पचास व 10 के छोटे नोट भी छापते थे.
पुलिस ने जो छापे गये जाली नोटों को बरामद किया है, उसमें दो हजार, पांच सौ, दो सौ तथा एक सौ के नये नोट काफी संख्या में हैं. जालसाजों द्वारा नोट छापने के लिए स्थानीय बाजार से अच्छी कागज का इस्तेमाल किया जाता था. बरामद किये गये उपकरणों से पता चलता है कि ये लोग स्कैनर से असली नोटों को स्कैन कर प्रिंटर से छापते थे.