सीतामढ़ी. सरकार द्वारा अगले पेराई सत्र 2025-26 के लिए गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य में महज 15 रुपये प्रति क्विंटल की बढोतरी की घोषणा को संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा उत्तर बिहार के संयोजक डॉ आनंद किशोर तथा जिलाध्यक्ष जलंधर यदुवंशी ने किसानों के साथ घोर विश्वासघात तथा धोखा बताया है तथा केंद्र सरकार से पुनर्विचार का आग्रह किया है. तय 355 रुपया क्विंटल मूल्य भी 10.25% रिकवरी पर होगा. अगर किसी चीनी मिल में इससे कम रिकवरी होगी तो मूल्य कम ही मिलेगा, जो मोदी सरकार स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा के आलोक में फसल के उत्पादन लागत पर ड्योढा मूल्य देने का वायदा किया था वह लागत से भी आधा मूल्य घोषित किया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति ने लिया है. सीसीइए की बैठक के बाद सरकार के मंत्री ने बताया कि यह मूल्य निर्धारण कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की अनुशंसा पर किया गया है. आयोग के हवाले से बताया गया कि नये सत्र में गन्ना का उत्पादन लागत 173 रु प्रति क्विंटल आता है. इस प्रकार गन्ना का उत्पादन लागत कम दिखाना किसानों के साथ बडा धोखा है. सरकार को उत्पादन लागत का किसानों के बीच खुलासा करना चाहिए कि 173 रु क्विंटल लागत कैसे आता है? जबकि किसानों का उत्पादन लागत करीब 800 रुपया क्विंटल आता है. यह उद्योगपतियों के लिए किसानों के गाढी कमाई की लूट का खेल है. इसी प्रकार उचित तथा लाभकारी मूल्य पर राज्य सरकार 10-5 रु राज्य परामर्शी मूल्य बढायेगी या नही भी बढायेगी ? जैसे विगत कई वर्षो से बिहार सरकार नही बढा रही थी तथा इस सत्र में यूपी सरकार नही बढाई है.
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