Success Story: संघर्षों को मात देकर सीतामढ़ी की सीमा देवी अपनी मेहनत और लगन से खुद को एक नई पहचान दिलाई है. सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने अपनी उड़ान को पंख दिए और अब जिला की पहली ‘ड्रोन दीदी’ बनकर लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं.
घरेलू जिम्मेदारियों के बीच खुद को बनाया आत्मनिर्भर
सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर प्रखंड के धनुषी गांव की रहने वाली 35 वर्षीय सीमा देवी का सफर आसान नहीं था. शादी के समय वे सिर्फ 10वीं पास थीं और पति राजेश रंजन वसुधा केंद्र चलाते थे. लेकिन, जब यह केंद्र बंद हो गया, तो परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी. इसी कठिन समय में सीमा ने जीविका से जुड़ने का फैसला किया और यह निर्णय उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ.
खाद-बीज की दुकान से ‘ड्रोन दीदी’ बनने तक का सफर
सीमा ने पहले आजीविका सखी के रूप में काम किया और 2023 में कृषि उद्यमी बनने का अवसर मिला. 50,000 रुपये के लोन से उन्होंने खाद-बीज की दुकान शुरू की. कृषि में बचपन से रुचि रखने वाली सीमा को इसी दौरान ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ‘ड्रोन दीदी’ बनने का मौका मिला.
सीतामढ़ी से एकमात्र चयन, ड्रोन तकनीक में मिली ट्रेनिंग
इफको (IFFCO) द्वारा बिहार की 20 महिलाओं का ‘ड्रोन दीदी’ के रूप में चयन किया गया. जिसमें सीतामढ़ी से सिर्फ सीमा देवी को यह सम्मान मिला. पहले परीक्षा हुई, जिसमें पास होने के बाद उन्हें बिहटा में ड्रोन ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया. जून 2024 में इफको द्वारा सीमा को ड्रोन, ड्रोन वाहन, जेनरेटर और कीटनाशक छिड़काव के उपकरण सौंपे गए.
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ड्रोन ने बदली जिंदगी, बढ़ते ऑर्डर्स से हो रही अच्छी कमाई
जब सीमा ने पहली बार गांव में ड्रोन उड़ाया, तो लोग अचंभित रह गए. धीरे-धीरे जब उन्होंने फसलों पर कीटनाशक और पानी का छिड़काव करना शुरू किया, तो उन्हें ऑर्डर पर ऑर्डर मिलने लगे. अब वह प्रति एकड़ छिड़काव के लिए 300-400 रुपये चार्ज कर रही हैं और इससे अच्छी आमदनी भी हो रही है. सीमा न सिर्फ अपने परिवार को आर्थिक रूप से संबल दे रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी सशक्तिकरण की मिसाल बन चुकी हैं.