सीतामढ़ी. रून्नीसैदपुर! जी हां, बालुशाही मिठाई के लिए मशहुर बाजार. यह इलाका कभी नक्सलियों के खौफ का प्रमुख केंद्र बना था. डेढ़ दशक पूर्व तक चाहे लोकसभा का चुनाव हो, विधानसभा अथवा पंचायत चुनाव, इस इलाके में वोटिंग कराना किसी चुनौती से कम नहीं था. यहां तक कि प्रशासन व पुलिस के अधिकारी भी जोखिम डालकर जाते थे. पिछले सात-आठ वर्षों के दरम्यान नक्सलियों की पैठ कमजोर होने के बाद स्थितियां बदली है. आज चुनाव के दरम्यान सभी वर्ग के मतदाता बेखौफ होकर बूथ तक पहुंच रहे हैं और पूरे उत्साह के साथ वोटिंग कर रहे हैं. यह अलग बात है कि अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखे गये इन मतदान केंद्रों पर सुरक्षा का विशेष इंतजाम रहता है. महिंदवारा, सिरखिरिया, बलुआ, गिद्धा फुलवरिया, कोआही, मौना आदि गांव नक्सलियों का प्रभाव क्षेत्र माना जाता था. वर्ष 2000 के बाद इस इलाके में नक्सलियों का खौफ इस कदर बढ़ गया था कि लोग वोट डालने तक जाने में कतराते थे. नक्सली खुलेआम हमला कर सुरक्षा व्यवस्था को बड़ी चुनौती दे रहे थे. प्रशासन को खुलेआम चुनौती देकर नक्सली संगठन गिद्धा में शहीदी मेले का आयोजन करते थे. तत्कालीन कोआही ओपी पर हमला किया गया था. चुनाव के दरम्यान केन बम मिलने की घटनाएं तक हो चुकी है. आज लोग बेखौफ होकर वोटिंग कर रहे हैं.
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