सीतामढ़ी. आगामी 25 नवंबर को विवाह पंचमी का पावन पर्व मनाया जाएगा. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि विवाह पंचमी के नाम से जानी जाती है. इसी तिथि को भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था. यही कारण है कि यह महीना विशेष माना गया है. पंडित मुकेश कुमार मिश्र के अनुसार, विवाह पंचमी के अवसर पर भगवान राम और माता सीता की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विवाह पंचमी के दिन जो कोई भी श्रद्धालु मां सीता और भगवान श्री राम का विवाह करवाता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है. विवाह पंचमी के दिन भगवान श्रीराम और देवी सीता की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा अथवा चित्र को चौकी पर विराजमान कर गंगा जल से स्नान कराना चाहिए. इसके बाद उन्हें पीले रंग के वस्त्र, पुष्प, धूप-दीप आदि से उनकी पूजा कर भोग लगाना चाहिए. कुंवारी कन्याओं के द्वारा इस दिन श्रीराम और सीताजी का पूजन-अनुष्ठान करने से मनचाहा वर मिलता है. विवाहित स्त्रियों के दांपत्य जीवन में खुशियां आती हैं. वहीं, विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस, रामरक्षास्रोत या सुंदरकांड का पाठ करना शुभ होता है. — सीतामढ़ी में सदियों से लगता है प्रसिद्ध विवाह पंचमी पशु मेला चुंकि, सीतामढ़ी मां सीता की जन्मभूमि है. अतः यहां सदियों से विवाह पंचमी का त्योहार विशेष रूप से मनाया जाता है. पुनौरा धाम व रजत द्वार जानकी मंदिर समेत जिलेभर के दर्जनों राम-जानकी मठों में भी विवाह पंचमी का पावन पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है. इस अवसर पर सीतामढ़ी शहर में सदियों से विवाह पंचमी पशु मेला लगता है, जो पूरे बिहार समेत देशभर में प्रसिद्ध है. हालांकि, मशीनरी युग आने के बाद धीरे-धीरे पशु मेला अब काफी सिमटकर रह गया है. वहीं, जानकी मंदिर के बगल में ही विवाह पंचमी मेला के अवसर पर सदियों से प्रसिद्ध मीना बाजार भी लगता है, जहां कम से कम महीने भर तक खरीददारी को लेकर महिलाओं की भीड़ उमड़ती है.
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