सीतामढ़ी. आज से प्रकृति को समर्पित सूर्योपासना का चार दिवसीय छठ महा-अनुष्ठान शुरू हो रहा है. आज पहला दिन होगा, जब जिले भर के हजारों की संख्या में छठ व्रती नहाय-खास के साथ लोक आस्था का महान पर्व छठ पूजा का शुभारंभ करेंगे. छठ पूजा को लेकर शहर के गुदरी बाजार समेत जिले भर के तमाम बाजारों में शुक्रवार को जबरदस्त हलचल देखने को मिला. कपड़े की दुकान हो, मिट्टी से निर्मित हाथी, दीया, ढ़कना व अन्य वस्तुओं की दुकान हो, श्रृंगार सामग्री हो, सब्जी और फल की दुकान हो, बरतन की दुकान हो, लहठी की दुकान हो, किराना की दुकान हो या किसी अन्य वस्तुओं की दुकानें, हर जगह ग्राहकों का हलचल नजर आया. दउरा 300 से 500 रुपये तक, सुपली 60 से 80 रुपये, सूप 100 से 150, गम्हरी चावल 80 से 100 रुपये प्रति किग्रा, गुड़ 50 से 80 रुपये प्रति किग्रा, नारियल 40 से 80 रुपये प्रति, बैगन 60 से 70 रुपये प्रति किग्रा, हाथी 300 से 400 रुपये जोड़ा, अदरख 40 रुपये पौवा बिक रहे थे.
पहले दिन छठ व्रती सुबह जल्दी उठकर दैनिक दिनचर्याओं से निवृत होकर किसी पवित्र नदी या जलाशय या फिर घर में ही स्नान कर तन और मन से पवित्रता धारण करेंगे. अरबा चावल की भात, कद्दृ की सब्जी व अन्य व्यंजनों से बना निरामिस भोजन करेंगे. इसके बाद उनका व्रत शुरू हो जायेगा.
— रविवार, दूसरा दिन : खरनावहीं, कल रविवार को लोक आस्था के चार दिवसीय छठ महापर्व का दूसरा दिन रहेगा. दूसरे दिन छठ व्रती दिन भर खरना पूजा की तैयारी में रहेंगी. शाम को गम्हरी धान के चावल व गुड़ का खीर और पूरियां बनायेंगी. विधि-विधान से खरना की पूजा करेंगे. खीर-पूरी के अलावा फल-मिठाइयों का भोग लगायेंगे और परिवार के सदस्यों के साथ प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठ व्रति 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करेंगे.
सोमवार को छठ महापर्व का तीसरा दिन होगा. इस दिन सुबह से लोग छठ घाटों को सजायेंगे. रास्तों की साफ-सफाई करेंगे, ताकि दंड-प्रणाम करते हुए घाट पर जाने वाले श्रद्धालुओं, छठ व्रती व उनके परिवार के सदस्यों को छठ घाटों तक जाने और आने में किसी प्रकार की कोई कठिनाई न हो. परिवार के पुरुष सदस्य छठ की एक-एक सामग्री जुटाने में मशगूल रहेंगे. वहीं, स्त्रियां छठी मइया और सूर्यदेव को अर्घ देने के लिये प्रसाद के रूप में खाजा, गांजा, खजुरी, पिरिकिया, ठेकुआ, कसार इत्यादि मीठे पकवान बनाने में मशगूल रहेंगे. बच्चे छठ घाट पर जाने को लेकर दिन भर उत्साह में डूबे रहेंगे. दोपहर बाद तमाम छठ घाटों का स्वर्ग सा नजारा दिखेगा, जहां रंग-बिरंगे परिधानों में सज-धजकर बच्चे, महिलायें, पुरुष व समाज के संपूर्ण लोग छठ घाट पर पहुंचेंगे. शाम ढ़लने तक छठ व्रती पानी में खड़े रहकर भगवान भास्कर एवं छठी मइया की उपासना करेंगे. डूबते सूर्य को अर्घ समर्पित करेंगे. कई छठ घाटों पर रात भर भिन्न-भिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा.
— मंगलवार, चौथा दिन : उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घमंगलवार को छठ व्रती उगते सूर्य व छठी मइया को दूसरा अर्घ अर्पित करने के बाद विभिन्न नियमों से गुजरते हुए पारण करने के साथ छठ महा-अनुष्ठान का समापन करेंगे.
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