सीतामढ़ी. जिले में वर्ष 2006 से15 तक नियोजित शिक्षकों की विजिलेंस जांच चल रही है. अब तक की जांच में करीब सौ फर्जी/अवैध शिक्षक पकड़े जा चुके है, जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी है. वहीं, बहुत सारे शिक्षक नौकरी से बर्खास्त भी किए जा चुके है. बावजूद अब भी जिला के आलावा सूबे में 69649 शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों की जांच संभव नहीं हो सकी है. कहा जा रहा है कि जबतक जांच हो नही जाती है, तबतक उक्त 69649 शिक्षकों की बहाली संदिग्ध ही मानी जाएगी. — उपलब्ध नहीं कराए बहाली के कागजात दरअसल, सूबे के सभी डीईओ और डीपीओ, स्थापना को नियोजित शिक्षकों का फोल्डर अतिशीघ्र निगरानी विभाग को उपलब्ध कराने को कहा गया है. निदेशक, प्राथमिक शिक्षा ने जिलों को ताजा पत्र भेजकर उक्त निर्देश दिया है. गौरतलब है कि नियोजित शिक्षकों के फोल्डर में क्रमशः नियोजन के दौरान समर्पित किए गए शैक्षणिक/प्रशैक्षणिक प्रमाण-पत्रों को उपलब्ध कराया जाना है. फोल्डर मिलने के बाद ही निगरानी विभाग जांच प्रारंभ करती है. सूबे के डीईओ/डीपीओ 69649 शिक्षकों से जुड़े फोल्डर उपलब्ध नहीं करा सके है. इस कारण उक्त हजारों शिक्षकों की बहाली की वैधता की जांच संभव नहीं हो पा रही है. — 69809 में से 160 के ही फोल्डर मिले बताया गया है कि निदेशक ने 12 जनवरी 2023 को ही सभी डीईओ/डीपीओ स्थापना को वर्ष 2006 से 2015 तक नियोजित शिक्षकों का फोल्डर सौंपने को कहा था. 69809 में से मात्र 160 नियोजित शिक्षकों का ही फोल्डर निगरानी विभाग को उपलब्ध कराया जा सका है. इसे निदेशक ने काफी गंभीरता से लिया है. गौरतलब है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद कहा गया था कि पर फर्जी/अवैध शिक्षक अगर स्वेच्छा से नौकरी छोड़ देते है, तो ठीक है, अगर त्याग-पत्र नही देते है, तो उनके खिलाफ प्राथमिकी के साथ ही वेतन मद में प्राप्त की गयी राशि की वसूली की जायेगी. बावजूद अवैध शिक्षक नौकरी नहीं छोड़ रहे है. इधर, गत माह तक जिले में अवैध शिक्षकों की जांच के बाद अबतक 62 प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, जिसमें 96 लोग अभियुक्त बनाए गए थे. इन अभियुक्तों 89 शिक्षक थे. इनमें से 54 शिक्षक सेवा मुक्त किए जा चुके थे.
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